केरल का मुख्य त्यौहार -ओणम

ज्योति शर्मा

भारत त्यौहारों का देश माना जाता है। हर तरह की संस्कृति के रंग इस देश में देखने को मिलते हैं। उनमें से एक ओणम पर्व भी है। यह पर्व ठीक वैसे ही महत्वपूर्ण है जैसे उत्तर भारत में विजय दशमी, पंजाब में वैशाखी, बिहार में छठ पूजा मनाई जाती है। केरल में ओणम भी ठीक इसी तरह हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष 10 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। घर-घर में फूलों की पत्तियों से वृत्ताकार रंगोली बनायी जाती है। हर एक दिन एक वृत्ताकार फूलों की आकृति पहले वाली रंगोली में जोड़ दी जाती है, ऐसे करते-करते अंतिम दिन तक यह वृत्ताकार रंगोली काफी बड़ी हो जाती है। इस आकृति के बीचों-बीच वानर अवतार के भगवान विष्णु जी, राजा बलि तथा उनके अंगरक्षकों की प्रतिष्ठा की जाती है जो कि कच्ची मिट्टी से बनायी जाती है व उनकी पूजा-अर्चना करते हैं व ओमण के अंतिम दिन उन्हें जलाशय में विसर्जन कर दिया जाता है। केरल का मुख्य नृत्य तिरुवाथिरा कलि घर-घर में गूंजता है। इस दिन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। रंगोली बनाई जाती है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

इस त्यौहार को मनाने के पीछे पुराणों में एक कथा का उल्लेख मिलता है कि मलयालम प्रदेश के राजा बलि अपने राज्य में अमन-चैन रखते थे और न कोई अपराध होने देते थे। अपने यहां पर आए किसी भी व्यक्ति को खाली हाथी नहीं जाने देते थे। राजाबलि की लोकप्रियता कई राज्यों में बढ़ने लगी पंरतु बलि को अपने सुशासन पर काफी घमण्ड होने लगा था। देवता बलि की लोकप्रियता व उनकी शक्ति बढ़ते हुए देख घबराने लगे। इस पर सभी देवता अपनी प्रार्थना लेकर भगवान विष्णु के पास गये और बलि का घमण्ड तोड़ने की प्रार्थना करने लगे। इस पर भगवान विष्णु वामन अवतार का रूप लेकर भिक्षा मांगने राजा बलि के पास जा पहुँचे। वामन को देखकर बलि ने कहा मेरे पास अथाह संपत्ति है, तुम जो मांगना चाहते हो माँग लो, इस पर वामन अवतार ने कहा राजन् मुझे तो तीन पग धरती चाहिये। राजाबलि ने कहा कि केवल तीन पग धरती, आप तो बहुत छोटे हो और कुछ भी मांगना चाहते हो तो मांग सकते हो। वामन अवतार विष्णु जी ने कहा कि मुझे तो मात्र तीन पग जमीन ही चाहिए। राजा बलि बोले मुझे स्वीकार है। देखते ही देखते भगवान विष्णु ने वामन अवतार का विराट स्वरूप बना लिया और एक पग में पूरे ब्रह्माण्ड, दूसरे पग में सम्पूर्ण पृथ्वी को नाप ली और तीसरे पग के लिए कहा कि राजन् में तीसरा पग कहा रखूं। इस पर बलि को अपने घमण्ड व भूल का एहसास हुआ। वह वामन स्वरूप में भगवान विष्णु को पहचान लिया परंतु अपना वचन पूर्ण करने के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रख लें। जैसे ही भगवान विष्णु ने अपना तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखा तो वह पाताललोक की ओर जाने लगे। जाते-जाते राजा बलि ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि मैं हर वर्ष अपने राज्य में आ सकूं और अपनी प्रजा से मिल सकूं, यह मुझे वरदान दीजिए। विष्णु जी ने राजा बलि की यह प्रार्थना स्वीकार कर की। तभी से माना जाता है कि केरल के मलयालम संवत् के श्रावण मास में राजाबलि ओणम के दिन अपनी प्रजा से मिलने आते हैं और ओणम यात्रा में शामिल होते हैं। इस दिन वामन मंदिर जो कि केरल में भगवान विष्णु के निमित्त बनाया गया है, भारत का एकमात्र मंदिर है।

इस पर्व के संबंध में एक कथा का उल्लेख और मिलता है। जब परशुरामजी ने सारी पृथ्वी जीत कर ब्राह्मणों को दान कर दी थी व स्वयं के लिए भी कोई भी स्थान नहीं रखा, इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि आप यहीं से अपना फरसा समुद्र में फेंक दें, यह जहां पर भी गिरेगा वहां तक समुद्र का जल सूख जाएगा। परशुराम ने वैसा ही किया। समुद्र से जो धरती प्राप्त हुई उसी को केरल नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना है कि परशुराम जी ने ही भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनाया जो ‘तिरुक्कर अप्पण’ नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि उसी समय से ओमण पर्व मनाए जाने लगा। इस पर्व पर नौका दौड़ विशेष रूप से की जाती है, जिसे वल्लमकली के नाम से जाना जाता है।

इस वर्ष ओमण पर्व 12 से 23 अगस्त, 2021 तक मनाया जाएगा।