(सुप्रतीक सेनगुप्ता) कोलकाता: पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले लोगों को भारतीय जनता पार्टी में अंधाधुंध शामिल किए जाने का विरोध किया था और शायद इसका चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए सुप्रियो ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि इस मामले पर उनके विचार शायद भाजपा के शीर्ष नेताओं को पसंद नहीं आए।

उन्होंने कहा, "कई बाहरी लोग, जिनका भाजपा से कोई पुराना संबंध नहीं था, रातों-रात हमारी पार्टी के नेता बन गए और इसने विधानसभा चुनाव में हमारे प्रदर्शन को शायद प्रभावित किया। मैंने लोगों को उनके बीते हुए कल की जांच किए बिना इस तरह अंधाधुंध तरीके से शामिल करने का विरोध किया था, लेकिन मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया।" उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि चुनाव से पहले भाजपा में इस तरह के मामलों के विरोध में दिए गए मेरे बयान शायद शीर्ष नेतृत्व को पसंद नहीं आए।" सुप्रियो ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष भी पार्टी की विधानसभा चुनाव में हार के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, "चुनाव प्रचार के दौरान उनकी टिप्पणियां विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर और सत्यजीत रे की संस्कृति के साथ मेल नहीं खाती थीं और बंगालियों के लोकाचार से बिल्कुल अलग होती थीं। बंगाली जनमानस में पार्टी के पतन में यह भी एक कारण रहा।" जुलाई में मंत्री पद से हटाए जाने के बाद राजनीति छोड़ने की घोषणा करने वाले सुप्रियो ने कहा कि उनका मोहभंग हो गया और वह कला और संगीत को अधिक समय देना चाहते थे।

उन्होंने कहा, "लेकिन, मुझे निश्चित रूप से सक्रिय राजनीति में लौटने की इच्छा थी और तृणमूल कांग्रेस से मुझे वह मौका मिला। मैं टीम में रहना चाहता था। मुझे वह मौका देने के लिए मैं टीएमसी को धन्यवाद देता हूं।"