नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उम्मीद जताई कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष दो सप्ताह में मुकुल रॉय को अयोग्य ठहराने के लिए दी गई अर्जी पर फैसला कर लेंगे। मुकुल रॉय राज्य विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

न्यायमूर्ति एल नगेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने इसके साथ ही मामले की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह तक के लिए टाल दी।

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी के तीसरे सप्ताह तक टाल दी जाए क्योंकि सख्त समय सीमा तय करना व्यवहारिक नहीं होगा।

शीर्ष अदालत ने हालांकि, मामले की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह तक टाली और कहा कि वह उम्मीद करती है कि समय पर फैसला होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘हम उन्हें दो सप्ताह का समय देंगे। मामले को सुनवाई के लिए फरवरी के दूसरे सप्ताह सूचीबद्ध करे। इस बीच सुनिश्चित करें कि यह पूरा हो, हम आदेश में वह नहीं कह रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत दो अलग-अलग अपील पर सुनवाई कर रही थी जो पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी और उनके सचिव और पीठासीन अधिकारी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दाखिल की हैं।

उच्च न्यायालय ने बनर्जी से कहा था कि रॉय को विधानसभा सदस्य के तौर पर अयोग्य करार देने के लिए दायर याचिका पर सात अक्टूबर तक फैसला करें।

भाजपा नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने 17 जून को अध्यक्ष के समक्ष अर्जी देकर रॉय को अयोग्य करार देने का अनुरोध किया था।

भाजपा विधायक अम्बिका रॉय ने जुलाई में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा लोकलेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद पर मुकुल रॉय की नियुक्ति को चुनौती दी थी और पंरपरा के अनुसार इस पद पर विपक्षी सदस्य का नामांकन कराने का अनुरोध किया था।