पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे के बीच बुधवार की मुलाकात को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच जुबानी जंग छिड़ गयी।

बिहार के पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता जीवेश कुमार ने तेजस्वी यादव और आदित्य ठाकरे की मुलाकात को लेकर कहा, ‘‘दिवंगत बाला साहेब ठाकरे की आत्मा यह जानने के लिए बैचेन है कि उनके पोते आदित्य क्या कर रहे हैं। तेजस्वी से युवा नेता क्या सीखने की उम्मीद करते हैं जिन्होंने कम समय में बड़ी संपत्ति अर्जित करने के अलावा कुछ नहीं किया।’’

इसी तरह के विचार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राम सागर सिंह ने व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार के लोग यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि आदित्य ठाकरे कितना हिंदुत्व का पाठ तेजस्वी यादव को पढ़ा पाते हैं।

भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता निखिल आनंद ने सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे सरकार ने मामले की जांच करवाते समय ‘‘बिहारी विरोधी’’ मानसिकता प्रदर्शित की थी।

आनंद ने एक बयान में इस बात पर जोर दिया कि महा विकास आघाडी की तत्कालीन सरकार का आचरण और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) जांच का विरोध ‘‘कई संदेह पैदा करता है।’’ उन्होंने तेजस्वी यादव से आदित्य ठाकरे जैसे नेताओं का ‘‘बहिष्कार’’ करने के लिए कहा।

तेजस्वी यादव की पार्टी राजद ने पलटवार करते हुए दावा किया कि भाजपा उस ‘‘विपक्षी एकता’’ से घबरा गई है जो बिहार में हासिल की गई है और अन्य राज्यों में आकार ले रही है।

राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भाजपा के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘आदित्य ठाकरे तेजस्वी यादव से मिलने आ रहे हैं। यह हमारे युवा नेता के कद को दर्शाता है और यह बिहार के लिए गौरव की बात है जिसने सभी भाजपा विरोधी ताकतों को रास्ता दिखाया है।’’

उन्होंने कहा कि भाजपा को गुजरात जैसे राज्यों में अपने नेताओं के घिनौने रवैये को याद रखना चाहिए जहां से प्रवासी श्रमिकों को कोविड-19 महामारी काल के समय लगे लॉकडाउन के दौरान पलायन करने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने दावा किया कि बिहार के लोग अगले लोकसभा चुनाव में केंद्र में शासन करने वाली भाजपा को दंडित करने जा रहे हैं।