नयी दिल्ली, अडानी समूह ने इस बात के संकेत दिये हैं कि वह संकटग्रस्त आवास ऋण कंपनी डीएचएफएल के लिये अपनी 33 हजार करोड़ रुपये की पेशकश को बढ़ा सकता है। हालांकि कंपनी ने उन बोलीदाताओं का जमा जब्त करने की मांग की है, जो सार्वजनिक धन की अधिकतम वसूली पर सवाल पैदा कर प्रक्रिया में खलल डालना चाहते हैं।


अडानी समूह ने दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया के तहत डीएचएफएल की नीलामी करा रहे प्रशासक को ईमेल के माध्यम से एक पत्र भेजा है। इसमें अडानी समूह ने कहा है कि उसने अच्छे से तय प्रक्रिया का पालन किया है। कंपनी ने कहा है कि उसकी नीयत प्रक्रिया का तेजी से अनुपालन सुनिश्चित कराते हुए बिना शर्त पेशकश करने और सभी संबंधित पक्षों के लिये संभावित मूल्यों को अधिकतम करने की रही है।

इस ईमेल को डीएचएफएल के डेटा रूम में अपलोड किया गया है, जिसे पीटीआई-भाषा ने भी देखा है। अडानी समूह ने इसमें कहा है कि कुछ बोलीदाता मामले को सनसनी बनाने के लिये मीडिया का सहारा ले रहे हैं और उनकी नीयत कर्जदाताओं व जमाकर्ताओं के लिये मूल्य को अधिकतम किये जाने से रोकने की है। अडानी समूह ने कहा कि यह सब देखकर दुख होता है।

डीएचएफएल के लिये अक्टूबर में अडानी समूह, पीरामल समूह, अमेरिका स्थित संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट और एससी लॉवी ने बोलियां पेश की थी। हालांकि, डीएचएफल के कर्जदाता चाहते हैं कि बोलीदाता अपनी पेशकश बढ़ायें, क्योंकि बोलीदाताओं की मौजूदा पेशकश कम है।

कर्जदाताओं की समिति के एक सूत्र ने बताया कि अडानी समूह ने शुरुआत में सिर्फ डीएचएफएल की थोक व झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण पोर्टफोलियो के लिये बोली पेश की थी। बाद में अडानी समूह ने बोली संशोधित कर पूरे पोर्टफोलियो के लिये पेशकश की थी। यह पेशकश 30 हजार करोड़ रुपये की है। इसके अलावा समूह ने तीन हजार करोड़ रुपये के ब्याज की पेशकश की है।

अडानी समूह की यह पेशकश ओकट्री की 28,300 करोड़ रुपये की पेशकश से अधिक है। ओकट्री ने यह पेशकश इस शर्त के साथ की है कि वह बीमा दावों को लेकर एक हजार करोड़ रुपये रोककर रखेगी।

पीरामल समूह ने डीएचएफल के खुदरा पोर्टफोलियो के लिये 23,500 करोड़ रुपये की पेशकश की है। हांगकांग की कंपनी एससी लॉवी ने झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण पोर्टफोलियो के लिये 2,350 करोड़ रुपये की पेशकश की है।

अडानी की पेशकश के तुरंत बाद प्रतिस्पर्धी बोलीदाता धांधली की शिकायत करने लगे। इनका तर्क रहा कि अडानी ने समयसीमा पार होने के बाद बोली पेश की है और वह अपनी मूल योजना का विस्तार नहीं कर सकती है।