मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को फेमा (विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून) के तहत देश में कानूनी पेशे से जुड़े कार्यों के मकसद से विदेशी विधि कंपनियों के देश में शाखा कार्यालय, परियोजना कार्यालय अथवा संपर्क कार्यालय खोलने के किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी देने से मना किया है।

आरबीआई ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर इस संदर्भ में परिपत्र जारी किया है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अधिवक्ता कानून, 1961 के तहत पंजीकृत वकील ही देश में विधि पेशे का कार्य कर सकते हैं। विदेशी कंपनियों या विदेशी वकीलों को विधि संबंधी कार्य करने की अनुमति नहीं है।

केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘...बैंकों को निर्देश दिया जाता है कि वे फेमा (विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून) के तहत देश में कानूनी पेशे से जुड़े कार्यों के मकसद से विदेशी विधि कंपनियों के देश में शाखा कार्यालय, परियोजना कार्यालय अथवा संपर्क कार्यालय खोलने के किसी भी प्रस्ताव को मंजूरी न दें।’’

परिपत्र के अनुसार अगर उन्हें अधिवक्ता कानून के प्रावधानों के उल्लंघन मामले का पता चलता है, वे उसे रिजर्व बैंक के संज्ञान में लायें।

इससे पहले, आरबीआई ने 2015 में बैंकों को सलाह दी थी कि वे किसी विदेशी विधि कंपनी को भारत संपर्क कार्यालय खोलने को लेकर पहले से अगर कोई मंजूरी मिली हुई है, वे उसका तबतक नवीनीकरण नहीं करे और न ही कोई नई मंजूरी दें, जबतक इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय समीक्षा नहीं कर लेता और मामले का निपटान नहीं करता।

उच्चतम न्यायालय ने मामले का निपटान करते हुए कहा कि अधिवक्ता कानून, 1961 के तहत पंजीकृत वकील ही देश में विधि पेशे का कार्य कर सकते हैं। विदेशी कंपनियों या विदेशी वकीलों को विधि संबंधी कार्य करने की अनुमति नहीं है।