मुंबई, 22 अक्टूबर (भाषा) आवास ऋण कंपनी डीएचएफएल के प्रवर्तक कपिल वाधवान की रिजर्व बैंक के एक प्रशासक को सौंपी गयी एक निपटान योजना पर 63 मून्स टेक्नोलॉजीस ने वाधवान को इस तरह की पेशकश से दूर रहने का नोटिस दिया है। इस संबंध में कंपनी ने मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश का हवाला दिया है जिसमें न्यायालय ने इस गैर- बैकिंग वित्तीय कंपनी को संपत्ति की बिक्री, अलग करने अथवा अन्यत्र उलझाने पर रोक लगाई है।


बाधवान ने आरबीआई प्रशासक के सामने बैंकों का कर्ज चुकाने के लिये अपने 43,000 करोड़ रुपये से अधिक के संपत्ति अधिकार स्थानांतरित कर निपटान का प्रस्ताव रखा है। इस पर 63 मून्स ने मद्रास उच्च न्यायालय के निषेद्याज्ञा आदेश का हवाला देते हुये कपिल वाधवान को ऐसा करने से दूर रहने का नोटिस भेजा है।

63 मून्स ने डीएचएफएल और वाधवान के खिलाफ दीवानी एवं आपराधिक मामला दायर किया था। कंपनी ने उन पर धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी का आरोप लगाया था। कंपनी ने डीएचएफएल द्वारा जारी गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर में 218 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बदले में उसे नौ प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज देने का भरोसा दिया गया था, लेकिन कंपनी 2016-17 के बाद से किसी तरह का भुगतान करने में कथित तौर पर विफल रही है।

अदालतों में दाखिल अपनी याचिका में 63 मून्स ने आरोप लगाया है कि डीएचएफएल और वाधवान ने सार्वजनिक धन की हेराफेरी की और इन्हें मुखौटा कंपनियों में निवेश किया और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की कोशिश की है।

संकट में घिरी डीएचएफएल के जेल में बंद प्रवर्तक कपिल वाधवान ने कंपनी के कर्जदाताओं का बकाया चुकाने के लिए अपनी निजी और परिवार की संपत्ति की पेशकश की है। उनका दावा है कि यह संपत्ति 43,000 करोड़ रुपये से अधिक की है। उन्होंने 17 अक्टूबर को रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक आर. सुब्रहमणियम कुमार को पत्र लिखकर यह पेशकश की है।