इंदौर (मध्यप्रदेश):देश के अलग-अलग राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद पशु-पक्षियों का आहार बनाने वाली इकाइयों में सोया खली की मांग घट गई है। ऐसे में जनवरी में इस प्रोटीनयुक्त उत्पाद की घरेलू खपत में एक लाख टन की गिरावट दर्ज की जा सकती है। प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन के शीर्ष पदाधिकारी ने बुधवार को यह आशंका जताई।

इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने "पीटीआई-भाषा" को बताया, "देश में पशु-पक्षियों का आहार बनाने वाली इकाइयों में गत दिसंबर के दौरान करीब 5.5 लाख टन सोया खली की खपत हुई थी। जनवरी में भी हम इस उत्पाद की इतनी ही खपत की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद इन इकाइयों की मांग घट गई है।" उन्होंने बताया, "इन हालात में पशु-पक्षियों का आहार बनाने वाली इकाइयों में सोया खली की घरेलू खपत जनवरी में घटकर 4.5 लाख टन के आसपास रह सकती है।" जैन ने हालांकि भरोसा जताया कि सोया खली की घरेलू खपत में आशंकित कमी की भरपाई निर्यात से हो जाएगी क्योंकि इस उत्पाद की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ गई है।

उन्होंने बताया कि देश में सोया खली से बने मुर्गियों के दाने की सबसे ज्यादा खपत तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में होती है जहां बड़ी तादाद में पॉल्ट्री फार्म हैं।

प्रसंस्करण संयंत्रों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचे उत्पाद को सोया खली कहते हैं। यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्रोत है। इससे पशु-पक्षियों के आहार के साथ ही मनुष्यों के उपभोग के लिए सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य पदार्थ भी तैयार किए जाते हैं।