नयी दिल्ली : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने किसी करदाता की संपत्ति कुर्क करते समय अपने फील्ड अधिकारियों को अधिकतम सकर्तता बरतने की हिदायत दी है।

सीबीआईसी ने कहा कि इस उपाय पर तब गौर किया जा सकता है, जब जीएसटी चोरी का मामला हो या फर्जी बिल अथवा संग्रहीत कर जमा करने में तीन महीने से अधिक की देरी का मामला हो।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम के तहत संपत्ति को कुर्क किये जाने के संबंध में दिशानिर्देश जारी किया है।

इसके अनुसार, ‘‘संपत्ति कुर्क करने की शक्ति को सामान्य या सहज तरीके से उपयोग में नहीं लाया जाना चाहिये। यह असाधारण परिस्थितियों का उपाय है और इसे अधिकतम सतर्कता के साथ सिर्फ तभी उपयोग में लाया जाना चाहिये, जब परिस्थिति एकदम विकट हो।’’

सीबीआईसी ने दिशानिर्देशों में ऐसे मामलों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें संपत्तियों को कुर्क करने की शक्ति का उपयोग किया जा सकता है। इनमें कर चोरी के उद्देश्य से किसी व्यक्ति के द्वारा बिना बिल के माल या सेवा की आपूर्ति करना, धोखाधड़ी के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाना, कर के रूप में किसी व्यक्ति के द्वारा संग्रह कर लेना लेकिन उसे तीन महीने से अधिक समय तक सरकार के पास जमा नहीं करना, धोखाधड़ी से रिफंड का लाभ उठाना आदि शामिल हैं।

सीबीआईसी ने कहा कि संपत्तियों की प्राथमिक कुर्की एक साल के लिये वैध होगी।