नयी दिल्ली : देश भर में गेहूं की बुवाई रबी सत्र 2021-22 में अब तक मामूली गिरावट के साथ 336.48 लाख हेक्टेयर रही है। कृषि आयुक्त एसके मल्होत्रा ​​ने शुक्रवार को कहा कि सत्र के दौरान यह गिरावट एक अच्छा संकेत है क्योंकि किसान तिलहन की ओर रुख कर रहे हैं।

तिलहन की खेती में वृद्धि से देश को मदद मिलेगी, जो खाद्य तेल आयात पर काफी निर्भर है।

मल्होत्रा ​​ने पीटीआई-भाषा से कहा कि रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है और कुछ क्षेत्र गेहूं के दायरे में आ सकते हैं जहां गन्ने की कटाई देर से की गई थी।

गेहूं जैसे रबी फसलों की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और अप्रैल से कटाई शुरू होती है। एक साल पहले इसी अवधि में 340.74 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई थी।

मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘‘हमारे गोदाम में पर्याप्त गेहूं का भंडार है। यह एक अच्छा संकेत है कि गेहूं का रकबा कम हो रहा है। गेहूं की जगह किसानों ने तिलहन की खेती का रुख किया है, जिसकी बहुत आवश्यकता है।’’ नतीजतन, तिलहन खेती का रकबा वर्ष 2021-22 के रबी सत्र के 14 जनवरी को एक साल पहले की अवधि की तुलना में 17.93 लाख हेक्टेयर बढ़कर 100.27 लाख हेक्टेयर हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘तिलहन क्षेत्र में लगभग 17.93 लाख हेक्टेयर की वृद्धि उस क्षेत्र से हुई है जहां परंपरागत रूप से गेहूं बोया जाता था।’’ मल्होत्रा ने कहा कि चूंकि रेपसीड-सरसों मुख्य रबी तिलहन फसल है और गेहूं के साथ इन्हें उगाया जाता है। लेकिन इस बार गेहूं खेती के ज्यादातर रकबे में रेपसीड-सरसों की फसल उगायी जा रही है।

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, रबी सत्र 2021-22 में अब तक रेपसीड-सरसों की फसल के तहत बोया गया रकबा बढ़कर 90.45 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले की अवधि में 72.93 लाख हेक्टेयर था।

कुछ हिस्सों में जहां गन्ने की कटाई देर से की गई थी, बुवाई जनवरी के मध्य से शुरू होगी, जो सामान्य तौर पर नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्रफल भी अंतिम बुवाई के आंकड़ों में भी जुड़ जाएगा।

उन्होंने कहा कि रबी फसलों की बुवाई जनवरी के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।

तिलहन के अलावा, शीतकालीन दलहन के तहत बुवाई का रकबा एक साल पहले की अवधि में 160.13 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस रबी सत्र में अब तक मामूली रूप से बढ़कर 160.20 लाख हेक्टेयर हो गया है।

दलहनों में, रबी की मुख्य दलहनी फसल चने का रकबा एक साल पहले की अवधि के 107.78 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 111.61 लाख हेक्टेयर हो गया है।

इस अवधि में मोटे व पोषक अनाज का रकबा 1.09 लाख हेक्टेयर घटकर 47.82 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि चावल का रकबा 4.50 लाख हेक्टेयर घटकर 19.82 लाख हेक्टेयर रह गया।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 12 जनवरी तक 330.12 लाख टन गेहूं का भंडार था।