चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह 'भारतमाला परियोजना' के तहत एनएचएआई द्वारा अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के संशोधन को लेकर उनकी मांग जल्द ही केंद्र के साथ उठाएंगे।

यहां जारी एक सरकारी बयान के अनुसार, उन्होंने वित्तीय आयुक्त राजस्व (एफसीआर) को संबंधित अधिकारियों को तुरंत विस्तृत निर्देश जारी करने का निर्देश दिया कि वे किसानों के बैंक खातों में उनकी इच्छा के विरुद्ध मुआवजे की राशि जमा न करें।

मामला राज्य के 15 जिलों की 25,000 हेक्टेयर जमीन से जुड़ा है। भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में है।

इस जमीन पर कई एक्सप्रेसवे का निर्माण होना है जिसमें दिल्ली-जम्मू-कटरा, जामनगर-अमृतसर, लुधियाना-रोपड़, बठिंडा-डबवाली और जालंधर और लुधियाना बाईपास शामिल हैं।

किसानों ने 'भारतमाला परियोजना' के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा अधिग्रहित उनकी भूमि के लिए जिला राजस्व अधिकारियों (डीआरओ) द्वारा दिए गए "मामूली" मुआवजे को खारिज कर दिया है, जिन्हें भूमि अधिग्रहण के लिए सक्षम प्राधिकार के रूप में नामित किया गया है।



सरकार ने महत्वाकांक्षी 'भारतमाला परियोजना' के तहत लगभग 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत से 34,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाने की परिकल्पना की है।

बयान में कहा गया है कि सिंह ने रोड किसान संघर्ष समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां मुलाकात की जिसका नेतृत्व उसके प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढिल्लों कर रहे थे।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से उनकी मांग को लेकर मुलाकात करेंगे।

उन्होंने अपने प्रमुख सचिव को गडकरी के साथ जल्द से जल्द मिलने का समय लेने निर्देश दिया और पुलिस महानिदेशक से यह सुनिश्चित करने को कहा कि किसानों की जमीन जबरन जब्त नहीं की जाए।

बयान में कहा गया है कि सिंह ने पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे किसानों की संतुष्टि के लिए इस मुद्दे को प्राथमिकता से हल करने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने ऐसे मामलों को मध्यस्थता के लिए भेजने की संभावना से इनकार किया क्योंकि इससे किसानों को न्याय दिलाने में अनावश्यक रूप से देरी होगी।