चेन्नई : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि ‘प्रधानमंत्री-टीबी मुक्त भारत अभियान’ के तहत देश भर में टीबी के नौ लाख से अधिक मरीजों ने सामुदायिक सहयोग पाने को लेकर अपनी सहमति दी है।

समुदाय का सहयोग के लिए सहमत होने वाले कुल 9,42,321 मरीजों में से अधिकतम 2,05,340 मरीज उत्तर प्रदेश से हैं। इसके बाद महाराष्ट्र से 1,07,171 और मध्य प्रदेश से 91,024 मरीज हैं। लक्षद्वीप में ऐसे सबसे कम नौ मरीज हैं। तमिलनाडु में 1,680 मरीजों ने सामुदायिक सहयोग लेने के लिए अपनी सहमति दी है।

केंद्रीय मंत्री ने नयी दिल्ली से डिजिटल तरीके से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘टीबी के लगभग 13,51,725 रोगियों का पहले से ही सरकारी सहयोग से इलाज चल रहा है। इस सबसे घातक संक्रामक रोग को खत्म करने के लिए राज्यों की प्रतिबद्धता के साथ, हम 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टीबी-मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं।’’

‘प्रधानमंत्री-टीबी मुक्त भारत अभियान’ केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की नवीनतम पहल है और इसे एक सप्ताह पहले शुरू किया गया था।

यह अभियान दाता (नि-क्षय मित्र) को टीबी रोगियों को सहयोग देने या देखभाल में मदद को लेकर प्रोत्साहित करता है। यह दाता कोई व्यक्ति, कॉरपोरेट, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), राजनीतिक दल या संस्थान हो सकता है। अभियान का उद्देश्य टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिए पोषण संबंधी सहायता, अतिरिक्त जांच तथा अन्य मदद मुहैया कराना है।

भारत में टीबी की मौजूदगी को लेकर राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2019-21 के अनुसार, टीबी की मौजूदगी देश में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 312 लोगों में है और दिल्ली में उच्चतम स्तर के साथ प्रति 1,00,000 आबादी पर 747 के इससे प्रभावित होने का अनुमान है। वहीं, गुजरात में प्रति 1,00,000 आबादी पर यह दर सबसे कम 137 है।