चेन्नई : तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने राज्य में कोविड​​-19 के बढ़ते मामलों के लिये बुधवार को दूसरे राज्यों, खास कर उत्तर भारत से आने वाले छात्रों को जिम्मेदार बताया। हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि स्थिति खतरनाक नहीं है।

मंत्री ने बताया कि लगभग 91 प्रतिशत छात्र कोरोना वायरस संक्रमण के ओमीक्रोन बीए.2 से संक्रमित पाये गये हैं , फिर भी स्थिति नियंत्रण में है, क्योंकि एहतियाती उपाय किए गए थे ।

मंत्री को उनकी टिप्पणी के लिए ट्रोल किया गया था कि उत्तर भारत के छात्रों से संक्रमण फैल रहा है । ट्विटर पर लोगों ने मंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताते हुये तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने ट्वीट किया, ‘‘तमिलनाडु के मंत्रियों के बीच दैनिक आधार पर आपस में यह होड़ है कि ‘उनमें से किसके पास कम दिमाग है।’ यह अफसोस की बात है कि वे तमिलों को अपनी मूर्खता से नीचा दिखा रहे हैं ।’’

उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद ने स्वास्थ्य मंत्री को आड़े हाथों लेते हुये कहा, ‘‘ हम सभी को यह अनुभव है कि बीमारी और महामारी किसी भी राज्य की सीमा या अन्य सीमाओं को नहीं मानती है । तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से दिया गया यह बयान निहायत की गैरजिम्मेदराना और आपत्तिजनक है, उत्तर भारतीयों को अपमानित करने वाला है ।

सुब्रमण्यम ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना वायरस मामलों की संख्या को कम करने के लिए त्वरित और उचित कदम सुनिश्चित किए हैं, लेकिन नई दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पड़ोसी केरल जैसे कुछ राज्यों ने यह सुनिश्चित नहीं किया है।

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘उन राज्यों से आने वाले छात्रों से हास्टल के अन्य छात्रों में संक्रमण का प्रसार हुआ । लेकिन, तमिलनाडु में पिछले तीन महीनों से कोरोना वायरस के मामले 100 से नीचे रहे, और इससे किसी की मौत नहीं हुयी ।’’

उन्होंने कहा कि परीक्षण और एहतियाती उपायों के कारण, आईआईटी-मद्रास में मामले 237 तक कम हो गये हैं और सत्य साईं कॉलेज में संक्रमण के 74 मामले थे, जो अब समाप्त हो चुके हैं और वर्तमान में एक भी मामला नहीं है ।