सावन मास का प्रारंभ हो चुका है. यह मास भगवान शिव की पूजा और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उत्तम होता है. इस लिए इन दिनों पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करने का अति विशिष्ट लाभ प्राप्त होता है.

शिव पुराण के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है. वहीं मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है. आइये जानें पार्थिव शिवलिंग की पूजा का प्रारंभ किसने किया?

 

पार्थिव शिवलिंग की पूजा का प्रारंभ : शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताते हुए कहा गया है कि कलयुग में पार्थिव शिवलिंग का पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने प्रारम्भ किया था. सावन मास में पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने से भक्त को धन, धान्य और आरोग्य के साथ-साथ पुत्र रत्न की भी प्राप्ति होती है. इसके अलावा भक्तों को सभी प्रकार की मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.

कैसे बनता है पार्थिव शिवलिंग : पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या तालाब की पवित्र मिट्टी लायें. उसके बाद उसका पुष्प और चंदन आदि से शोधन करें. मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें. इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके शिवलिंग बनाएं. अब निर्मित पार्थिव शिवलिंग में गणेश जी, ब्रह्मा, विष्णु और शिव भगवान के साथ नवग्रह और माता पार्वती आदि देवी देवताओं का आवाहन करें. अब विधिवत षोडशोपचार पूजन करें.

 

पार्थिव शिवलिंग पूजन का महत्व : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग के पूजन से समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि सपरिवार पार्थिव शिवलिंग बनाकर शास्त्र सम्मत विधि विधान से पूजन करने पर पूरा परिवार सुखी रहता है. माना जाता है कि रोग से पीड़ित व्यक्ति पार्थिव शिवलिंग के समक्ष महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से वह रोग मुक्त हो जाता है.