नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्री भारती पवार ने कहा है कि सरकार ने अपनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में रोगाणुरोधी दवा प्रतिरोध (एएमआर) को प्राथमिकता के रूप में चिह्नित किया है और इससे निपटने के लिए प्रणालियां बनाने की कई पहल की गई हैं।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री पवार ने कहा कि एएमआर की रोकथाम के लिए भारत ने जिस प्रकार सरकारी कार्य-योजनाओं को विकसित और क्रियान्वित किया है, उसका अन्य देश भी अनुसरण कर सकते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, पवार शुक्रवार को ओमान के मस्कट में एएमआर पर तीसरे वैश्विक उच्चस्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में बोल रही थीं।

उन्होंने कहा कि एएमआर (एनएपी-एएमआर) की रोकथाम के लिए भारत की राष्ट्रीय कार्य-योजना आधिकारिक तौर पर 19 अप्रैल, 2017 को जारी की गई थी।

पवार ने कहा, ‘‘एएमआर की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्य-योजना एकीकृत ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण पर केंद्रित है और इसमें राज्य, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों के बीच समन्वय शामिल है।’’

एएमआर का मतलब रोगाणुओं द्वारा दवाओं के असर को विफल करने की क्षमता हासिल करने से है और यह स्थिति मुख्यत: दवाओं के दुरुपयोग तथा उपयोग की अति की वजह से उत्पन्न होती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एएमआर को दुनिया के समक्ष उत्पन्न 10 बड़े वैश्विक स्वास्थ्य खतरों में से एक के रूप में शामिल किया है।