नयी दिल्ली:  सरकार ने बुधवार को प्रदर्शनकारी किसान संगठनों से कहा कि उन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति की कार्यवाही में भाग लेना चाहिए।

इस बीच, सरकार और किसान संगठनों के बीच 15 जनवरी को होने वाली नए दौर की बातचीत को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।

चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि फिलहाल बैठक होना तय है और आगे दोनों पक्ष तय करेंगे कि बातचीत करनी है या नहीं करनी है।

यह पूछे जाने पर कि लोहड़ी के मौके पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कृषि कानूनों की प्रतियां जलाए जाने के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘मैं किसानों से आग्रह करना चाहता हूं कि कानूनों की प्रतियां जलाने से कुछ नहीं होने जा रहा है। उन्हें अपना पक्ष अदालत द्वारा गठित निष्पक्ष समिति के समक्ष रखना चाहिए।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आपको नहीं लगता कि कानूनों की प्रतियां जलाना उस संसद का अपमान है जिसने इन कानूनों को पारित किया है?’’


उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति गठित कर दी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिये भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक (दक्षिण एशिया) डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की।