नयी दिल्ली, : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा शिक्षा की आर्थिक परिवर्तनीयता के लिये काफी महत्वपूर्ण है जिससे एक बड़ी आबादी को औपचारिक शिक्षा और कौशल के दायरे में लाकर 5 ट्रिलियन डालर (5000 अरब डालर) की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा को गति प्रदान की जा सकती है।

राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचे के मसौदे पर आईआईटी दिल्ली में विभिन्न हितधारकों की बैठक को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्रेडिट ढांचे का सार्वभौमिकरण करने और सभी संस्थानों में इन्हें लागू करने की संकल्पना की गई है ताकि ज्ञान, कौशल एवं रोजगार से जुड़ी बाधाओं को दूर किया जा सके ।

उन्होंने कहा कि इसमें पठन पाठन से जुड़ी व्यवस्था को निर्बाध बनाने, क्रेडिट जमा करने एवं हस्तांतरित करने सहित कौशल सम्पन्न बनाने की व्यवस्था स्थापित करने की बात कही गई है।

उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या का लाभ उठाने के लिये हमें लोगों को समान अवसर प्रदान करने होंगे। ऐसा सभी तरह के पारंपरिक, गैर पारंपरिक और प्रायोगिक ज्ञान भंडार को मान्यता प्रदान करके और उन्हें औपचारिक स्वरूप प्रदान करके हासिल किया जा सकता है।

प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा हमें ज्ञान एवं कौशल से प्रायोगिक आयामों को मान्यता प्रदान करने का अवसर प्रदान करते हैं तथा जीवनपर्यंत सीखने और कौशल सम्पन्न बनने की संभावनाओं का सृजन करते हैं ।

उन्होंने कहा कि यह ढांचा प्रति व्यक्ति उत्पादकता को बढ़ावा देता है, सभी को सशक्त बनाता है और अगली शताब्दी में भारत को आगे ले जाने की मजबूत आधारशिला रखता है।

शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा शिक्षा की आर्थिक परिवर्तनीयता को बढ़ावा देने के लिये महत्वपूर्ण है और इससे एक बड़ी आबादी को औपचारिक शिक्षा और कौशल के दायरे में लाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत में क्रेडिट ढांचा कोई नई बात नहीं है तथा आईआईटी सहित कुछ संस्थानों में इससे जुड़ी व्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि क्रेडिट ढांचे का सार्वभौमिकरण महत्वपूर्ण आयाम है । हमारा कार्यबल अगर शिक्षा के बुनियादी स्तर को हासिल कर लेता है तो इससे उत्पादकता बढ़ेगी और गुणवत्ता बेहतर होगी।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश में 12वीं कक्षा के स्तर पर ड्रापआउट(बीच में स्कूल छोड़ना) 25 प्रतिशत है। अर्थात माध्यमिक स्तर पर पहुंचने वाले ये बच्चे 12वीं पास नहीं कर पाते हैं । इसके कई कारण हो सकते हैं ।

उन्होंने कहा कि देश के शहरी क्षेत्रों में स्थिति ठीक है लेकिन ग्रामीण इलाकों और खासकर अनुसूचित जाति, जनजाति एवं कमजोर वर्गो में ड्रापआउट ज्यादा है।

प्रधान ने कहा कि उच्च शिक्षा के स्तर पर सकल नामांकन दर (जीईआर) 27 प्रतिशत है। इसका अर्थ यह है कि 73 प्रतिशत युवा उच्च शिक्षा के दायरे में नहीं आते हैं ।

उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में आने वाले इस 27 प्रतिशत में भी इंजीनियरिंग, मेडिकल, विज्ञान, कामर्स तथा इसके प्रायोगिक विषयों में 40 प्रतिशत बच्चे आते हैं जबकि 60 प्रतिशत छात्र मानविकी से जुड़े होते हैं जिसके कारण इनके समक्ष रोजगार का प्रश्न भी जुड़ जाता है।

गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने पिछले महीने स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल के लिए राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचे की मसौदा रिपोर्ट सार्वजनिक चर्चा के लिये जारी की थी। इस मसौदा रिपोर्ट पर 30 नवंबर तक विचार/राय भेजी जा सकती है।