पर्यावरण  में जैसे-जैसे बदलाव होते जा रहे हैं, इससे लोगों में कई तरह के रोग बढ़ते जा रहे हैं. पर्यावरण का असर सीधे जीन पर भी पड़ता है. पर्यावरण की बदली हुई परिस्थिति में कुछ आनुवांशिक रोग ज्यादा परेशानी पैदा कर सकते हैं.

इसी तरह की एक आनुवंशिक बीमारी है सिकल सेल  जो कि जीन में असामान्य बदलाव की वजह से होती है. आनुवंशिक का मतलब है कि यदि माता-पिता को यह बीमारी है, तो उनसे बच्चों में भी यह बीमारी पारित हो सकती है. आइए जानते हैं कि सिकल सेल की बीमारी क्या होती है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है.

myUpchar के अनुसार, सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है. सामान्य रूप में हमारे शरीर में लाल रक्त कण प्लेट की तरह चपटे और गोल होते हैं. यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से आवाजाही कर पाते हैं लेकिन यदि जीन असामान्य हैं तो इसके कारण लाल रक्त कण प्लेट की तरह गोल न होकर अर्धचंद्राकार रूप में दिखाई देते हैं.

इस वजह से यह रक्त वाहिकाओं में ठीक तरह से आवागमन नहीं कर पाते हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. इसके कारण मरीज को एनीमिया की समस्या होती है. सिकल सेल रोग अधिकतर उन देशों में ज्यादा होता है जो अविकसित होते हैं. इसलिए यह रोग अफ्रीका, तुर्की, ग्रीस, सऊदी अरेबिया और भारत जैसे कई देशों में ज्यादा देखने को मिलता है.


ऐसे करें सिकल सेल बीमारी से बचाव : भले ही यह अनुवांशिक रोग है, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखकर इसकी रोकथाम की जा सकती है. चूंकि यह एक गंभीर बीमारी है, इसलिए इससे बचाव करना बेहद जरूरी है. दरअसल बच्चों में यह बीमारी पारित ना हो पाए, इसके लिए शादी करने से पहले लड़का और लड़की दोनों के ब्लड का चेकअप करवा लेना चाहिए.

यदि इन दोनों में सिकल सेल पाए जाते हैं या यह दोनों सिकल सेल से ग्रसित हैं, तो ऐसे लोगों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे बच्चों में बीमारी पारित होने का खतरा अधिक रहता है. कई देशों में तो लड़का-लड़की की शादी से पहले सिकल सेल की जांच अनिवार्य कर दी गई है. इसके अतिरिक्त जो बच्चे सिकल सेल से ग्रसित हैं, वे कमजोर होते हैं. ऐसे बच्चों का टीकाकरण करके उनके जीवन-आयु को बढ़ाया जा सकता है.