नयी दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि नीरव मोदी के मामले में ब्रिटिश अदालत का फैसला ‘‘महत्वपूर्ण’’ है और बड़ी धोखाधड़ी के मामलों में शामिल सभी भगोड़ों को याद रखना चाहिए कि वे सिर्फ अपने निवास का देश बदलकर कानून से बच नहीं सकते हैं।

सीबीआई ने एक बयान में कहा कि अदालत के आदेश से एजेंसी द्वारा की गई व्यापक जांच सही साबित होती है, खासकर इसलिए क्योंकि नीरव ने अपने खुद के कृत्यों से ध्यान भटकाने के लिए साक्ष्यों की स्वीकार्यता, जांच की निष्पक्षता, मुकदमे, जेल की स्थितियों, भारत में स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों की उपलब्ध्ता जैसे विभिन्न मुद्दे उठाए।

इससे पूर्व, आज लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने नीरव के प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार की दलील को स्वीकार कर लिया और कहा कि उसके खिलाफ सबूत ‘‘उसे आरोपों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश देने के वास्ते प्रथम दृष्टया पर्याप्त हैं।’’

अदालत ने भारत के आश्वासनों पर भी भरोसा किया और मानवाधिकार उल्लंघन, निष्पक्ष मुकदमे तथा जेल की स्थितियों पर सवाल उठाने की बचाव पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया एवं नीरव के मामले को अंतिम निर्णय के लिए ब्रिटेन के विदेश मंत्री के पास भेज दिया।

सीबीआई ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के सीबीआई के प्रयासों के संदर्भ में निर्णय महत्वपूर्ण है और यह भगोड़ों के लिए ताकीद है कि बड़ा फर्जीवाड़ा कर वे सिर्फ अधिकारक्षेत्र बदलकर खुद को प्रक्रिया से ऊपर नहीं समझ सकते।’’

इसने कहा कि ‘ क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस ’ के वकीलों तथा विभिन्न सरकारी एजेंसियों , खासकर लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों और विदेश मंत्रालय ने इस मामले में सभी चरणों में उत्कृष्ट प्रयास किए।