एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है. एकादशी व्रत का महामात्य महाभारत में भी मिलता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार युधिष्ठिर और अर्जुन को स्वंय भगवान श्रीकृष्ण ने एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था और एकादशी व्रत को रखने की संपूर्ण विधि भी बताया थी.

 

पंचांग के अनुसार 11 दिसंबर को मार्गशीर्ष यानि अगहन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. उत्पन्ना एकादशी की व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है. ऐसी मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत दांपत्य जीवन में मधुरता लाता है. एकादशी का व्रत कलह और तनाव का भी नाश करता है.

 

उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है
उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष उपासना की जाती है. विधि पूर्वक इस व्रत को पूर्ण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं.

 

दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानी दूर होती हैं
उत्पन्ना एकादशी का व्रत दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियों को भी दूर करता है. घर की नकारात्मक ऊर्जा का भी नाश होता है. इस व्रत को रखने से घर में सुख समृद्धि आती है, लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है. रोग, धन हानि और अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है.

 

एकादशी व्रत की विधि
एकादशी की तिथि पर सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा आरंभ करनी चाहिए. पूजा के दौरान पीले वस्त्र और फूलों को चढ़ाना चाहिए. शाम को भी पूजा करनी चाहिए. एकादशी व्रत पारण का अगले दिन किया जाता है.

 

उत्पन्ना एकादशी का मुहूर्त
11 दिसंबर 2020- सुबह पूजन मुहूर्त: सुबह 5:15 बजे से सुबह 6:05 बजे तक
11 दिसंबर 2020-संध्या पूजन मुहूर्त: शाम 5:43 बजे से शाम 7:03 बजे तक
12 दिसंबर 2020-पारण: सुबह 6:58 बजे से सुबह 7:02 मिनट तक