नयी दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत शोध, नवाचार और उद्यमिता के साथ समावेशिता एवं अंतरराष्ट्रीयकरण पर जोर देने से वैश्विक रैकिंग में और अधिक भारतीय विश्वविद्यालयों के स्थान बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा ।

प्रधान ने क्यूएस रैंकिंग की सूची में स्थान बनाने वाले 41 भारतीय विश्वविद्यालयों को बधाई दी ।

उन्होंने कहा, ‘‘ क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में 41 विश्वविद्यालयों ने स्थान बनाया है। मेरी ओर से उन सभी विश्वविद्यालयों को शुभकामनाएं । आईआईएससी बेंगलूर, आईआईटी बंबई, आईआईटी दिल्ली को उनकी अकादमिक उत्कृष्टता तथा सतत रूप से वैश्विक स्तर पर शीर्ष 200 में स्थान बनाने के लिये बधाई ।’’

कुल 41 भारतीय विश्वविद्यालयों ने क्यूएस रैंकिंग की सूची में स्थान प्राप्त किया है, जिनमें 12 के रैंक में सुधार हुआ है, 12 की रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ वहीं 10 संस्थानों के रैंक में गिरावट आई, जबकि देश के सात विश्वविद्यालय पहली बार इस सूची में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए हैं।

रैंकिंग के अनुसार, 13 भारतीय विश्वविद्यालयों ने अन्य वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपने शोध प्रभाव में सुधार किया है।

लंदन स्थित वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) की रैंकिंग में बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) को दक्षिण एशिया का सबसे तेजी से उभरता हुआ विश्वविद्यालय बताया गया है।

इस रैंकिंग में भारत के चार आईआईटी संस्थानों ने भी दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों की सूची में जगह बनायी है।

इस सूची में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई ने पांच पायदान की छलांग लगाते हुए 172वां स्थान हासिल किया है। आईआईटी बंबई को भारत का दूसरा सबसे अच्छा संस्थान बताया गया है जबकि आईआईटी- दिल्ली ने 11 स्थान ऊपर चढ़कर 174वां स्थान हासिल किया है।