गुप्त नवरात्रि  ज्योति शर्मा

शास्त्रों में चार नवरात्रि का विवरण मिलता है, जिनमें से चैत्र व अश्विनी मास के नवरात्रि बड़े स्तर पर मनाए जाते हैं। इन नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है तथा माघ व आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि साधु व संतों के लिए होते हैं। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना के लिए उत्सव किए जाते हैं। चैत्र व अश्विनी माह के प्रत्यक्ष नवरात्रि गृहस्थ जीवन में रहने वाले सभी लोग पूजा व साधना करके अपने जीवन की सम्पूर्ण मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए व्रत व पूजा-पाठ करते हैं। प्रत्यक्ष नवरात्रि सांसारिक जीवन से जुड़ी हुई सभी इच्छाओं व कामनाओं को पूर्ण करने के लिए कर सकते हैं। गुप्त नवरात्रि साधु-संतों के साथ-साथ तांत्रिक व मांत्रिक व तंत्र विद्याओं में रुचि लेने लोग तंत्र सिद्धि के लिए देवियों पर आधारित दस महाविद्याओं की साधना करते हैं।

गुप्त नवरात्रि गुप्त रूप से किए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि में कोई भी अघोरी साधना करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की भी साधना कर सकता है। अधिकांश गुप्त नवरात्रि की साधना अर्द्धरात्रि में गुप्त रूप से ही की जाती है। इस दौरान देवी मां भगवती की साधना बहुत ही कड़े नियम व व्रत के साथ की जाती है। तंत्र साधना तलवार की धार पर चलने के समान होती है, अतः किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। साधक गुप्त नवरात्रि पर बहुत लम्बी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का  प्रयास करते हैं।

दस महाशक्ति के रूप इस प्रकार हैं

1. महाकाली देवी - मां दुर्गा ने राक्षसों का वध करने के लिए काली रूप धारण किया था। किसी भी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता के इस रूप की पूजा-साधना कर प्रसन्न किया जाता है। दस महाविद्या में मां काली का प्रथम रूप माना गया है। कालिका पुराण में इनका वर्णन विस्तार से मिलता है। माता को ह्नीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहाः मंत्र का जाप करके प्रसन्न किया जाता है।

2. तारा देवी - सर्वप्रथम महर्षि वसिष्ठ ने मां तारा देवी की आराधना करके समस्त सिद्धियाँ प्राप्त की थीं। यह तांत्रिकों की मुख्य देवी मानी जाती है। इनके स्वरूप की आराधना करके ह्नीं स्त्रीं हुम फट् इस मंत्र जाप करने से आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है।

3. त्रिपुर सुन्दरी देवी - इन्हें राज राजेश्वरी व त्रिपुर सुन्दरी भी कहते हैं। माता के चार भुजा और तीन नेत्र हैं। नवरात्रों के समय मध्य रात्रि में रुद्राक्ष की माला से ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुन्दरीयै नमः जप करके से फल की प्राप्ति होती है।

4. भुवनेश्वरी देवी - यह मां शताक्षी व शाकम्भरी नाम से भी जानी जाती है। पुत्र प्राप्ति के लिए व सूर्य के समान तेज लेने के लिए मां भुवनेश्वरी का मंत्र ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नमः मंत्र जाप करके पूजा-आराधना करनी चाहिए।

5. छिन्नमस्ता सुन्दरी देवी - मां का यह स्वरूप कटे हुए सिर और बहती हुई रक्त की तीन धार से सुशोभित रहता है। मां की आराधना शांत मन से करनी चाहिए व श्रीं ह्नीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट् स्वाहाः मंत्र का जाप करना चाहिए। कामख्या देवी के बाद मां छिन्न मस्ता दूसरे नम्बर पर लोकप्रिय शक्ति पीठ है।

6. त्रिपुर भैरवी देवी - मां भैरवी की उपासना व्यापार में लगातार बढ़ोत्तरी और धन-सम्पदा की प्राप्ति के लिए की जाती है। ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहाः का जाप करना चाहिए।

7. धूमावती देवी - ऋग्वेद में उल्लेख मिलता है कि धूमावती माता की सिद्धि रोग-शांति व संकट को दूर करने के लिए करनी चाहिए व इस मंत्र धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः जाप करना चाहिए।

8. बगलामुखी देवी - जो व्यक्ति मां के इस स्वरूप की नवरात्रों में पूजा साधना करता है, वह दुश्मन के भय से मुक्त और वाक् सिद्धि प्राप्त करता है एवं हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। महाभारत में पाण्डवों ने कौरवों पर विजय पाने के लिए मां बगलामुखी की पूजा-अर्चना करके उन्हें प्रसन्न किया था। इस मंत्र ह्नीं बगलामुखी देव्यै ह्नीं नमः का जाप करना चाहिए।

9. मातंगी देवी - जो भक्त मां मातंगी की पूजा-अर्चना करता है, वे भगवान शिव को भी प्रसन्न कर लेते हैं, क्योंकि मतंग भगवान शिव का ही एक नाम है। इनकी पूजा से गृहस्थ जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं तथा जीवन सुखमय व सफल बनता है। ह्नीं ऐं भगवती मंतगेश्वरी श्रीं स्वाहाः माता को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

10. कमला देवी- मां कमला की पूजा आराधना करके व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य सम्पन्न व विद्वान बनता है। विवाह व पुत्र की प्राप्ति के लिए हसौः जगत प्रसुत्तयै स्वाहाः मंत्र का जाप व साधना करनी चाहिए।

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की तिथि से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ होते हैं। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई, 2021 से प्रारम्भ होकर 18 जुलाई, 2021 तक रहेंगे।