नयी दिल्ली : निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर उच्चतम न्यायालय में जारी सुनवाई के बीच, कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि एक न्यायाधीश को अपने फैसले के माध्यम से बोलना चाहिए क्योंकि उनकी टिप्पणियों से ‘‘मुश्किल स्थिति’’ पैदा हो सकती है।

‘टाइम्स नाउ समिट’ में पूछे गए एक सवाल कि उच्चतम न्यायालय यह जानना चाहता है कि कानून मंत्री ने एक विशेष चुनाव आयुक्त को कैसे चुना, रीजीजू ने कहा, ‘‘फिर लोग पूछेंगे कि कॉलेजियम ने न्यायाधीश बनने के लिए किसी खास व्यक्ति का चयन कैसे किया?’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रश्न से मुश्किल स्थिति पैदा होगी। इसलिए एक न्यायाधीश को अपने निर्णय के माध्यम से बोलना चाहिए।’’

उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्त के तौर पर पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल की नियुक्ति में ‘‘जल्दबाजी’’ पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाते हुए कहा था कि गोयल की फाइल 24 घंटे के भीतर विभागों के अंदर ‘बिजली की रफ्तार’ से आगे बढ़ी।

केंद्र ने न्यायालय की टिप्पणियों का विरोध किया था और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने दलील दी थी कि गोयल की नियुक्ति से जुड़े पूरे मामले को व्यापकता में देखे जाने की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने पूछा था कि केंद्रीय कानून मंत्री ने चार नामों को कैसे चयनित किया, जिसमें से एक नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री को निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए की गई थी, जबकि उनमें से किसी का भी चुनाव आयोग में निर्धारित छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं हो सकेगा।

उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और संबधित पक्षों से पांच दिन में लिखित जवाब देने को कहा था।