नयी दिल्ली, 25 जनवरी। उच्चतम न्यायालय ने आंध्रप्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव कराने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी की सरकार की अपील सोमवार को खारिज कर दी। उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम अहंकार की इस लड़ाई का हिस्सा नहीं बन सकते हैं।’’

राज्य सरकार ने कोविड-19 के टीकाकरण अभियान के कारण पंचायत चुनाव स्थगित किए जाने की मांग की थी।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इससे अधिक कठिन स्थितियों में भी सफलतापूर्वक चुनाव कराए गए हैं।

राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग का जिक्र करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘‘दोनों प्राधिकरणों के बीच अहंकार के कारण अव्यवस्था की स्थिति बन गई है।’’

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘‘राज्य चुनाव आयोग के निर्णय में हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे’’ और राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया।

राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि करीब पांच लाख पुलिसकर्मियों को टीका लगाया जाना है और इस समय चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि गोवा जैसे राज्यों ने भी चुनाव टाल दिए हैं।

पीठ ने कहा कि हर समय चुनाव रहता है, राज्य सरकार ने इस अदालत का दरवाजा खटखटाया लेकिन यह समझना जरूरी है कि राज्य चुनाव आयोग को चुनाव कराना है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम अहंकार की इस लड़ाई का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। कुछ राजनीतिक एवं प्रशाासनिक निर्णय होते हैं। कुछ निर्णय राज्य चुनाव आयोग को लेना है।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह राज्य चुनाव आयोग के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेगा और राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।

राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात पर विचार नहीं किया कि एसईसी और इसके आयुक्त एन. रमेश कुमार ने संबंधित तथ्यों पर विचार विमर्श किए बगैर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्णय किया है।



उच्च न्यायालय ने 21 जनवरी को ग्राम पंचायत चुनाव पांच फरवरी से चार चरणों में कराने की अनुमति दी थी।