नयी दिल्ली : भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को आश्वस्त किया कि वह अपनी कृषि-खाद्य प्रणाली को स्वस्थ और भरोसेमंद व्यवस्था में बदलने तथा सतत विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा।

कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन 2021 के ‘टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए खाद्य प्रणालियों में बदलाव: बढ़ती चुनौती’ पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन को ‘ऑनलाइन’ संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने अपनी कृषि खाद्य प्रणाली को सतत व्यवस्था के तब्दील करने को लेकर कई कदम उठाये हैं।

उन्होंने एक बयान में कहा कि भारत ने न केवल कृषि खाद्य प्रणाली को सतत व्यवस्था में तब्दील करने के लिये कदम उठाये हैं बल्कि किसानों को आय सहायता प्रदान करने, ग्रामीण आय में सुधार लाने के साथ देश में अल्प पोषण तथा कुपोषण जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिये भी उपाय किये हैं।

मंत्री ने शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत कृषि-खाद्य प्रणाली को टिकाऊ और भरोसेमंद व्यवस्था में बदलने और सतत विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा।’’

कृषि के महत्व पर जोर देते हुए करंदलाजे ने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि विकासशील देशों में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और हमारी पृथ्वी के लिए एक टिकाऊ भविष्य हासिल करने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार हमेशा से किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रही है और प्रत्येक समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने कई अहम कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत अब उत्पादकता बढ़ाने, फसल कटाई के बाद के प्रबंधन को मजबूत करने और किसानों तथा खरीदारों को एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार देने पर ध्यान दे रहा है। जिससे दोनों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

मंत्री ने कहा कि भारत ने आने वाले वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कृषि क्षेत्र में बेहद महत्वाकांक्षी सुधारों की शुरुआत की है। हाल के दिनों में कई कदम उठाए हैं, जिसके कारण भारत के कृषि क्षेत्र ने महामारी के संकट में भी बेहद अच्छा प्रदर्शन किया है और खाद्यान्न उत्पादन पहले के रिकॉर्ड स्तर को भी पार कर गया है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 14 अरब डॉलर का एक अलग से कृषि अवसंरचना कोष बनाया है। जिसका उद्देश्य उद्यमियों को ब्याज में छूट और क्रेडिट गारंटी प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादों के लिए विपणन से संबंधित बुनियादी ढांचा बनाना है। यह फसल के बाद के नुकसान को सीधे कम करने में मदद करेगा और इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा।

मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों को वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में मनाने के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार मुख्य रूप से, पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान करने और हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियों में विविधता लाने के लिए फलों और सब्जियों जैसी अन्य ज्यादा मूल्य वाली कृषि उत्पादों के विविधीकरण को भी बढ़ावा दे रही है।

संयुक्त राष्ट्र निकाय के अनुसार सतत खाद्य प्रणाली न केवल भूखमरी की समस्या खत्म करेगी बल्कि दुनिया को एसडीजी के तहत निर्धारित सभी 17 लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकती है।