नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने मार्च 2020 में कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर गृह पृथकवास में रहने के आदेश का उल्लंघन करने के आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया। वह व्यक्ति फरवरी 2020 में फ्रांस से यहां आया था।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि अभियोजन द्वारा मामला दर्ज किया जाना ही दोषपूर्ण था क्योंकि याचिकाकर्ता 5 फरवरी, 2020 को देश में आया था, जबकि गृह पृथकवास का निर्देश 16 मार्च को जारी किया गया था। साथ ही गृह/संस्थागत पृथकवास का नियम उन लोगों पर लागू था जो 15 फरवरी, 2020 को या उसके बाद आए थे।

याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और महामारी रोग अधिनियम, 1897 की धारा 3 के कथित उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

याचिकाकर्ता ने प्राथमिकी को रद्द करने की अपील करते हुए कहा कि जब वह 5 फरवरी को भारत लौटा, तब तक अनिवार्य संस्थागत / घरेलू पृथकवास नियम को लागू करने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।

उन्होंने बताया कि 14 मार्च को स्वास्थ्य विभाग के एक व्यक्ति ने उनके आवासीय परिसर का दौरा किया और उनकी यात्रा की योजना के बारे में पूछा। इसके बाद अप्रैल में प्राथमिकी दर्ज की गई।