नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरियों में 'लेटरल एंट्री' 1960 के दशक से होती रही हैं और इसका उद्देश्य नयी प्रतिभाओं को सामने लाना तथा मानव संसाधन की उपलब्धता को बढ़ाना है।

'लेटरल एंट्री' निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की सरकार में नियुक्ति को कहा जाता है।

कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा लेटरल एंट्री भर्तियां संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उचित चयन प्रक्रिया के माध्यम से की जा रही हैं।

भारत सरकार में संयुक्त सचिवों और निदेशकों के पदों पर 31 उम्मीदवारों की लेटरल भर्ती की हालिया सिफारिश पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि 1960 के दशक से लेटरल भर्तियां हो रही हैं। सबसे उल्लेखनीय लेटरल एंट्री नियुक्ति 1972 में मनमोहन सिंह को मुख्य आर्थिक सलाहकार तथा 1976 में वित्त मंत्रालय में सचिव बनाकर हुई थी, जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं।

सिंह ने कहा कि पहले की सरकारों के दौरान की गई कुछ अन्य महत्वपूर्ण लेटरल एंट्री नियुक्तियों में 1979 में आर्थिक सलाहकार और बाद में 1990 में प्रधानमंत्री के विशेष सचिव तथा वाणिज्य सचिव के रूप में डॉ मोंटेक सिंह अहलूवालिया की नियुक्ति शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया को संस्थागत बनाने तथा इसे और अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। निर्णय लिया गया कि संपूर्ण लेटरल एंट्री भर्ती प्रक्रिया यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाएगी।

सिंह ने कहा कि इस तरह की नियुक्तियां नयी प्रतिभाओं को सामने लाने के साथ-साथ जनशक्ति की उपलब्धता को बढ़ाने के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करती हैं।