नयी दिल्ली : दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को खाद्य तेलों का कारोबार मिले-जुले रुख के साथ बंद हुआ। स्थानीय मांग कमजोर होने से सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन जैसे देशी तेल कीमतों में गिरावट आई वहीं ‘कोटा प्रणाली’ की वजह से उत्पन्न हुए खाद्य तेलों की कम आपूर्ति के कारण सोयाबीन डीगम तेल, सीपीओ और पामोलीन तेल में मामूली सुधार आया। डीआयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग कमजोर होने से सोयाबीन तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बंद हुई।

बाजार के जानकार सूत्रों ने बताया कि देश में लागू मौजूदा कोटा प्रणाली की वजह से उपभोक्ता, तेल उद्योग और किसान किसी को भी फायदा नहीं है। सोयाबीन तेल के मुकाबले सूरजमुखी तेल का मौजूदा आयात भाव लगभग 100 डॉलर प्रति टन कम हो चला है यानी इन दोनों तेलों के भाव में जो अंतर पहले 35 डॉलर का था वह अंतर अब बढ़कर लगभग 100 डॉलर प्रति टन का हो गया है। कांडला पोर्ट पर सूरजमुखी का भाव पहले 2,500 डॉलर प्रति टन था। विदेशों में सूरजमुखी तेल की आपूर्ति बढ़ने के कारण यह भाव अब घटकर 1,360 डॉलर प्रति टन रह गया है। लेकिन फिर भी ‘कोटा प्रणाली’ की वजह से उत्पन्न शार्ट सप्लाई के कारण यही सूरजमुखी तेल उपभोक्ताओं को लगभग 40 रुपये किलो महंगा खरीदना पड़ रहा है। इस स्थिति के बारे में सरकार को जानकारी देकर ‘कोटा प्रणाली’ को समाप्त करने की सलाह देना, देश के सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) और साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) जैसे प्रमुख तेल संगठनों का दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि इन तेल संगठनों का पहला दायित्व है कि वे देश को तेल आयात पर निर्भरता बढ़ाने वाला रास्ते, खाद्य तेलों की कम आपूर्ति के लिए जिम्मेदार ‘कोटा प्रणली’ खत्म करने और देश के किसान हितों पर होने वाले खतरे के बारे में समय-समय पर सरकार को आगाह करे, नहीं तो देश कभी भी आत्मनिर्भरता की ओर नहीं बढ़ पायेगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने ‘कोटा प्रणाली’ इस मंशा से लागू की थी कि ग्राहकों को खाद्य तेल (सीयाबीन और सूरजमुखी तेल) लगभग सवा छह रुपये किलो सस्ता मिले न कि इसलिए कि उपभोक्ताओं को सूरजमुखी तेल पहले के भाव के मुकाबले लगभग 40 रुपये किलो महंगा मिले। देश में सूरजमुखी की पैदावार नगण्य मात्रा में है और महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत में इस नरम तेल का व्यापक उपयोग होता है।

देश के उपभोक्ता मामले तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने मांग की है कि कच्चे पामतेल या ‘सीपीओ’ (कच्चामाल) और आरबीडी पामोलीन (तैयार उत्पाद) के बीच आयात शुल्क के अंतर को बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत किया जाए। यानी पामोलीन पर आयात शुल्क बढ़ाया जाये ताकि देश के भीतर तेल मिलें अपनी बेहतर क्षमता उपयोग कर सकें तथा घरेलू खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ता उद्योग को समर्थन प्रदान किया जा सके।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया जैसा छोटा सा देश अपने किसानों के हित को देखते हुए सीपीओ पर निर्यात शुल्क लगाता है और पामोलीन को ऐसे किसी शुल्क से मुक्त रखता है ताकि पामोलीन का निर्यात बढ़े और मलेशिया के किसानों को फायदा पहुंचे। हमारे देश के तेल संगठनों को भी देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाले रास्ते के बारे में सरकार से चर्चा करते रहनी चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए सरसों, सोयाबीन, बिनौला, सूरजमुखी और मूंगफली (सारे सॉफ्ट आयल) के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर आयातित तेलों पर निर्भरता बढ़ी और देशी तिलहन का उत्पादन नहीं बढ़ा तो पशु चारा कहां से आयेगा जबकि मवेशियों की संख्या हर साल बढ़ जाती है।

बृहस्पतिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:



सरसों तिलहन - 7,300-7,350 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,535-6,595 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,430-2,695 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,235-2,365 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,295-2,420 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,880 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,600 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 5,650-5,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 5,460-5,510 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।