नयी दिल्ली, 25 जनवरी। नागालैंड के लोकायुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमानाथ सिंह ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह शीर्ष अदालत के सुझाव के अनुरूप इस पद से इस्तीफा देना चाहते हैं।

न्यायमूर्ति सिंह ने राज्य सरकार या अन्य को उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई शुरू करने या लंबित याचिका के आधार पर ‘‘मीडिया में उन्हें बदनाम करने’’ की कार्रवाई पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने यह निवेदन किया।

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे। पीठ ने पूर्व में वरिष्ठ अधिवक्ता को पद से इस्तीफा देने की संभावना के बारे में लोकायुक्त से निर्देश लेने को कहा था।

निवेदन में कहा गया, ‘‘अदालत के सुझाव के अनुरूप प्रतिवादी (लोकायुक्त) नियम और शर्तों के आधार पर (राज्य सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दाखिल) रिट याचिका खारिज होने पर अपना इस्तीफा देने को तैयार हैं।’’

शीर्ष अदालत ने नगालैंड सरकार की याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है। नगालैंड सरकार ने राज्य में लोकायुक्त के कामकाज पर सवाल खड़ा किया था।

मेघालय उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिंह ने अपने निवेदन में कहा है कि वह ‘‘अपरिहार्य परिस्थिति’’ और ‘‘अस्थिर हालात’’ के कारण अपना इस्तीफा दे रहे हैं और वह नगालैंड के अध्यक्ष लोकायुक्त नहीं रहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अदालत इसे उनका इस्तीफा मान सकती है और इसी अनुरूप आदेश दे सकती है। ’’

निवेदन में शीर्ष अदालत से यह भी अनुरोध किया कि किसी को भी न्यायमूर्ति सिंह की छवि धूमिल करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए और उच्चतम न्यायालय के आदेश के तथ्यात्मक रिपोर्टिंग की इजाजत दी जाए।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने हैरानी जतायी थी कि नगालैंड के लोकायुक्त राष्ट्रीय राजधानी में रहकर पूर्वोत्तर के राज्य में अपनी ड्यूटी कैसे निभाएंगे।