नयी दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कानून के तहत ऐसा कोई त्वरित प्रावधान नहीं है जो धार्मिक नाम/संकेतक वाले संगठनों को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण कराने से रोक सके।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी देकर अनुरोध किया गया था कि वह किसी धर्म विशेष का संकेत देने वाले राजनीतिक दलों के चिन्ह या नाम को रद्द करने का निर्देश दे। निर्वाचन आयोग ने इसी अर्जी पर अपनी प्रतिक्रिया आज न्यायालय में दी।

निर्वाचन आयोग ने हालांकि यह भी कहा कि धार्मिक संकेतकों/नाम वाले मौजूदा पंजीकृत राजनीतिक दलों के नामों ने विरासत का रूप ले लिया है क्योंकि वे दशकों से अस्तित्व में हैं।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि इतना ही नहीं राजनीतिक दलों को जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों के तहत धर्मनिरपेक्षता का पालन करना अनिवार्य है।

याचिका दायर करने वाले सैयद वसीम रिजवी उर्फ जितेन्द्र त्यागी ने अर्जी देकर न्यायालय से निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह राजनीरतिक दलों के किसी भी रूप में धर्म से जुड़े चुनाव चिन्ह या नाम को रद्द कर दे।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति एम. एम. सुन्दरेश की पीठ ने निर्वाचन आयोग के जवाब पर संज्ञान लेने के बाद मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी तय किया है ।