नयी दिल्ली: (भाषा) दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में पिछले 24 घंटे में गंभीर रूप से बीमार 25 कोविड मरीजों की मौत हो गयी और 60 ऐसे और मरीजों की जान भी खतरे में है। राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की कमी को लेकर गंभीर संकट की स्थिति पैदा होने के बीच अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में बताया।

सूत्रों ने बताया कि शहर के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित अस्पताल में हुई इस घटना के पीछे संभावित वजह ‘‘कम दबाव वाली ऑक्सीजन’’ हो सकती है जहां स्वास्थ्य कर्मी आईसीयू और आपातकालीन कक्षों में गैर मशीनी तरीके से वेंटिलेशन का काम कर रहे हैं। अस्पताल ने सुबह आठ बजे के करीब मौतों की घोषणा की।

सर गंगाराम अस्पताल (एसजीआरएच) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह में अभूतपूर्व संकट के बाद, एक ऑक्सीज टैंकर सुबह करीब नौ बजकर 20 मिनट पर अस्पताल पहुंचा। यह खेप करीब पांच घंटे और चलेगी जो ऑक्सीजन की खपत पर निर्भर करता है।

बड़े और छोटे अस्पताल जब घंटे और मिनटों के हिसाब से ऑक्सीजन खपत का अनुमान लगा रहे हैं उसी वक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शहर में ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भावुक अपील की है।

केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कोविड बैठक में कहा, ‘‘मैं प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि वह मुख्यमंत्रियों को निर्देश दें ताकि दिल्ली तक ऑक्सीजन टैंकरों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित हो सके।’’

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग बहुत अधिक पीड़ा में हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र को सेना के जरिए सभी ऑक्सीजन संयंत्रों को अपने अधीन लेना चाहिए और ऑक्सीजन के हर ट्रक के साथ सेना का वाहन चलना चाहिए।

एसजीआरएच के चेयरमैन डॉ डी एस राणा ने भी सभी अस्पतालों की मांग को दोहराया जो पिछले चार दिनों से ऑक्सीजन भंडार को भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सिर्फ निर्बाध और समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति की जरूरत है।’’

उनके अस्पताल में 500 से ज्यादा कोरोना वायरस के मरीज भर्ती हैं जिनमें से करीब 150 मरीज को ज्यादा ऑक्सीजन चाहिए।

अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “वेंटिलेटर और बीपीएपी मशीनें प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही हैं। 60 अन्य बहुत बीमार मरीजों की जान जोखिम में हैं। बहुत बड़े संकट की आशंका है।”

ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत मैक्स अस्पताल में भी दिखी।

भले ही वहां एक भी मरीज की मौत नहीं हुई हो लेकिन मैक्स हेल्थकेयर ने संकट का संकेत देते हुए सुबह सात बजकर 43 मिनट पर कहा कि उसके पास बस “एक घंटे की ऑक्सीजन आपूर्ति” बची है और करीब 700 मरीज वहां भर्ती हैं।

इसने कहा “संकट- मैक्स स्मार्ट हॉस्पिटल और मैक्स हॉस्पिटल साकेत में ऑक्सीजन की आपूर्ति एक घंटे से भी कम बची है। इनोक्स से ताजा आपूर्ति की देर रात एक बजे से ही इंतजार कर रहे हैं। करीब 700 मरीज भर्ती हैं, तुरंत मदद की जरूरत है।”

दो घंटे बाद, करीब 9:35 पर अस्पताल ने एक ट्वीट कर पुष्टि की कि उसे आपातकालीन आपूर्ति मिल गई है जो “अगले दो घंटे तक चल पाएगी।

अस्पतालों के बाहर भी, निराशाजनक दृश्य बढ़ते जा रहे हैं। एंबुलेसों की कतार लगी हुई है, मरीज स्ट्रेचरों पर प्रतीक्षा कर रहे हैं, इनमें से कुछ सांस की तकलीफ झेल रहे हैं और परिवार के लोग और दोस्त अपने प्रियजनों के लिए अस्पताल में बेड जुटाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।

बृहस्पतिवार को, दिल्ली में कोविड-19 से 306 लोगों की मौत हुई और 26,169 मामले सामने आए और यहां संक्रमण दर बढ़कर 36.24 प्रतिशत हो गई है। शहर के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं और कुछ ने दिल्ली सरकार से मरीजों को अन्य अस्पतालों में भेजने का भी आग्रह किया है।

एक सरकारी अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि कुछ अस्पतालों ने अल्प समय के लिए इंतजाम कर लिए हैं लेकिन संकट का समाधान होता नहीं दिख रहा।

अस्पताल के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार रात सरकार को आपात संदेश भेजकर कहा था कि स्वास्थ्य केंद्र में केवल पांच घंटे के लिए ऑक्सीजन बची है और तुरंत इसकी आपूर्ति का अनुरोध किया था।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘रात आठ बजे तक मौजूद ऑक्सीजन का भंडार पांच घंटे का था जो रात एक बजे तक चल सकता था और यह ज्यादा प्रवाह के लिए कम था। तत्काल ऑक्सीजन आपूर्ति की जरूरत है।”

अस्पताल को रात में साढ़े 12 बजे के करीब कुछ ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई लेकिन सूत्रों का कहना है कि बाद में और जरूरत पड़ेगी।



दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन को एक पत्र में कहा था कि बृहस्पतिवार शाम तक छह निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन का भंडार खत्म हो गया।

बेड मिलने की आस में अस्पतालों के बाहर मरीज और उनके परिवारों के इंतजार करने के बीच, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बृहस्पतिवार को कहा था कि ऑक्सीजन संकट का समाधान निकलने के बाद बिस्तरों की संख्या काफी बढ़ा दी जाएगी।

स्टाफ की कमी और अपर्याप्त संसाधनों का सामना कर रहे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने संक्रमितों के संपर्क में आए उन स्वास्थ्य कर्मियों की जांच और पृथक-वास बंद करने का फैसला किया है जिनमें लक्षण नहीं हैं।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई कोविड-19 समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया।

फैसले के तहत केवल लक्षण वाले स्वास्थ्य कर्मियों की जांच की जाएंगी और जिनकी जांच रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि होगी उन्हें ही पृथक-वास में रखा जाएगा और क्लिनिकल स्थिति के हिसाब से प्रबंधन किया जाएगा।