नयी दिल्ली : कोविड-19 के बाद उच्च रक्त शर्करा से जूझ रहे लोगों को बीजीआर-34 जैसे आयुर्वेदिक फॉर्मुले से कुछ राहत मिल सकती है, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए डाइपेप्टिडाइल-पेप्टिडेज़ -4 (डीपीपी-4) निरोधात्मक प्रभाव वाले प्राकृतिक बायोएक्टिव यौगिकों पर आधारित हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार 'डायबिटीज, ओबेसिटी और मेटाबॉलिज्म' पत्रिका में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में पाया गया कि अस्पताल में भर्ती कम से कम 14.4 प्रतिशत रोगियों ने मधुमेह की शिकायत की, जिससे ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी हुई। इसके परिणामस्वरूप ठीक होने के बाद हाइपरग्लाइसीमिया हो गया।

हालांकि, हाइपरग्लाइसीमिया को नियंत्रित करने के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन 'एल्सेवियर' पत्रिका में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, डीपीपी -4 अवरोधकों को कोविड के बाद उच्च रक्त शर्करा के खिलाफ सबसे सुरक्षित पाया गया है।

काउंसिल साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआईआर-एनबीआरआई) और सीआईएमएपी (सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स) द्वारा शोध किया गया, जिसके अनुसार बीजीआर-34 में डीपीपी-4 निरोधात्मक प्रभाव के साथ-साथ दारुहरिद्रा के प्राकृतिक बायोएक्टिव यौगिक हैं।

वास्तव में जर्नल ऑफ ड्रग रिसर्च के अनुसार, डीपीपी-4 अवरोधक का प्राथमिक स्रोत दारुहरिद्रा पौधा है।

आयुर्वेदिक दवा विकसित करने वाले राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई), लखनऊ के एक वैज्ञानिक डॉ एकेएस रावत ने कहा, 'इस गुण के कारण, दारुहरिद्रा को हर्बल फॉर्मूलेशन बीजीआर -34 में जोड़ा गया है।'