नयी दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने मंगलवार को कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में प्रौद्योगिकी- आधारित दृष्टिकोण और नयी शिक्षा नीति के अनुरूप डिजिटल विश्वविद्यालय जैसी पहल महत्वपूर्ण होगी।

‘‘इंडिया टुडे एजुकेशन कॉन्क्लेव 2022’’ को संबोधित करते हुए प्रधान ने कहा, ‘‘ गुणवत्तापूर्ण एवं वहनीय शिक्षा तक पहुंच तथा देश की वृहद आबादी को औपचारिक शिक्षा एवं प्रमाणिक कौशल ढांचे में लाने के लिये नवोन्मेषी और लीक से हटकर उपायों को अपनाने की जरूरत है ।’’

उन्होंने कहा कि सभी के लिये शिक्षा को सुगम बनाने के उद्देश्य से मजबूत एवं लचीला तंत्र सृजित करना सरकार की प्राथमिकता है।

शिक्षा मंत्री ने गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा की पहुंच बढ़ाने तथा देश की विशाल आबादी को औपचारिक शिक्षा एवं प्रमाणित कौशल संरचना के तहत लाने के लिए नवीन व अनूठे तरीकों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण और एनईपी (नयी शिक्षा नीति) के अनुरूप डिजिटल विश्वविद्यालय जैसी पहल अहम होगी।

प्रधान ने कहा कि एनईपी 2020 ईसीसीई स्तर से लेकर प्रत्येक शिक्षार्थी की जरूरतों को पूरा करने और एक जीवंत एवं न्यायसंगत ज्ञान समाज के निर्माण से संबंधित दृष्टिकोण एवं मार्ग निर्धारित करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम रोजगार संबंधी योग्यता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कौशल संबंधी शिक्षा को स्कूली एवं उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।’’

नौकरियों और कौशल के भविष्य का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘नौकरियों की प्रकृति बदल रही है और औद्योगिकी क्रांति (आईआर) 4.0 हमें अपनी विशाल आबादी को कौशल से लैस करने, उसके कौशल को उन्नत बनाने की चुनौती और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है।’’

शिक्षा मंत्री ने कहा कि कौशल से लैस करने की प्रक्रिया में एक व्यापक बदलाव लाया जाना चाहिए और इसे आईआर 4.0 का उपयोग करने के साथ-साथ अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की दृष्टि से और अधिक प्रेरक बनाना चाहिए।

प्रधान ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे छात्रों एवं युवाओं को नए युग के विचारों एवं कौशल से लैस एक वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने का रास्ता अपनाती है और भारत को 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए भारतीय भाषाओं में सीखने को प्राथमिकता देती है।’’