नयी दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भारतीय भाषाओं को मजबूत बनाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, क्षेत्रीय बोलियों और भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन के अवसर पैदा करके स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक संपर्क के एक माध्यम के रूप में कार्य करेगी।

अन्नपूर्णा देवी ने शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के आज ‘समग्र शैक्षिक विकास के लिए भारतीय भाषाओं के सुदृढ़ीकरण’ पर एक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही ।

शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘‘ देश की एकता और अखंडता के लिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया और उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं की गई।’’

शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि देश ने पिछले 50 वर्षों में 220 से अधिक भाषाओं को खो दिया है। इस स्थिति को देखते हुए भारतीय भाषाओं के पठन और पाठन को हर स्तर पर स्कूली और उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत है।

अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्षेत्रीय बोलियों और भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन के अवसर पैदा करके स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर के बीच संपर्क के एक माध्यम के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय भाषाओं को मजबूत बनाकर और संरक्षित करके ही देश का विकास संभव है।

उन्होंने शिक्षार्थियों और शिक्षकों सहित शिक्षा के क्षेत्र के समग्र विकास के लिए भारतीय भाषाओं को मजबूत करने की दिशा में अकादमिक और सामाजिक सहयोग के महत्व पर जोर दिया।