नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण स्कूलों को बंद किए जाने पर कुछ स्कूलों के प्राचार्यों ने कक्षा 10वीं और 12वीं की जारी प्रायोगिक परीक्षाओं को लेकर चिंता व्यक्त की है तो वहीं कुछ प्रधानाचार्यां ने महामारी के हालात को देखते हुए स्कूलों में शिक्षण गतिविधियां बंद किए जाने के निर्णय को उचित ठहराया है।

दिल्ली में हाल के दिनों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं जिसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को सभी कक्षाओं के लिए प्रत्यक्ष शिक्षण गतिविधियों और विद्यालयों में परीक्षाओं पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी है।

शालीमार बाग के मॉडर्न स्कूल की प्राचार्य अलका कपूर कहती हैं,‘‘ इस कदम से यकीनन प्रायोगिक परीक्षाओं में और आने वाली बोर्ड परीक्षाओं पर असर पड़ेगा।’’

स्कूलों को बंद करने के संबंध में जारी परिपत्र में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि कितने दिन तक इन्हें बंद किया जाएगा, जिसका तात्पर्य है कि स्थिति अनिश्चित है। कपूर कहती हैं,‘‘ कई स्कूलों में प्रायोगिक परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं और अब इनमें बाधा आएगी। ’’

रोहिणी के एमआरजी स्कूल के निदेशक रजत गोयल ने कहा,‘‘ सरकार द्वारा स्कूलों को बंद करने की घोषणा और संक्रमण के मामले बढ़ना इस बात का संकेत देते हैं कि हालात चिंताजनक है, और वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह अच्छा निर्णय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब वक्त आ गया है कि शिक्षक समुदाय, सीबीएसई बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय आने वाली बोर्ड परीक्षाओं की योजना तैयार करे। स्कूलों में गतिविधियां बंद कर दी गई हैं क्योंकि शिक्षकों और छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता है, लेकिन बड़ी कक्षाओं के लिए स्कूल प्राधिकारों को मानक संचालन प्रक्रियाएं दी जानी चाहिए ताकि वे चल रहे शिक्षण सत्र का प्रबंधन कर सकें।’’

डीपीएस इंदिरापुरम के प्राचार्य संगीत हजेला ने कहा, ‘‘किसी भी कीमत पर छात्रों की सुरक्षा प्राथमिकता में होनी चाहिए। शिक्षण कार्य का प्रबंधन तो किया जा सकता है क्योंकि हमारे पास अनुभवी शिक्षकों की योग्य टीम है।’’

कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र मांग कर रहे हैं कि मई-जून में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं को या तो स्थगित किया जाए या परीक्षाएं ऑनलाइन आयोजित कराई जाएं। सीबीएसई और सीआईसीएसई ने इस संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।