नयी दिल्ली :  उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने छात्रों से कोरोना महामारी को संकट के रूप में देखने के बजाय इसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अवसर में बदलने पर ध्यान देने की अपील करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि नौजवानों के रोजगार प्रदाता बनने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत सर्वश्रेष्ठ स्थान है।

उन्होंने विश्‍वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे छात्रों को ऐसी शिक्षा दें कि वह जीवन की वास्‍तविक चुनौतियों से प्रभावी तौर पर निपट सकें।

नायडू ने सिक्किम के आईसीएफएआई विश्वविद्यालय के 13वें ई-दीक्षांत समारोह को आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘आपमें से जो भी रोजगार प्रदाता बनना चाहते हैं, उनके लिए इस समय भारत से बेहतर कोई देश नहीं है, जहां वे अपने व्‍यवसाय संबंधी इरादों को लागू कर सकते हैं, क्‍योंकि इस समय हम अपने प्रधानमंत्री की आत्‍मनिर्भर भारत परिकल्‍पना को व्‍यवहार में ला रहे हैं।’’

उप राष्ट्रपति के मुताबिक, इस महामारी से सबक लेना है और भविष्‍य में इस तरह के खतरों से निपटने के समाधान तलाशने के लिए मिलकर काम करना है।

नायडू ने छात्रों से कहा, ‘‘कोविड महामारी के रूप में उनके सामने यह एक पहली बड़ी चुनौती आई है। छात्रों को इसे एक संकट के रूप में लेने की जगह प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल कर इसे अवसर के रूप में बदलने पर ध्‍यान देना चाहिए।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ हमारी प्राचीन व्‍यवस्‍था में मूल्‍यों पर हमेशा जोर दिया गया, हमारे वेदों और उपनिषदों में खुद अपने प्रति, अपने परिवार के प्रति, अपने समाज और प्रकृति के प्रति हमारे कर्तव्‍यों की ओर इंगित किया गया है। हमें प्रकृति के साथ पूरे सामंजस्‍य से रहना सिखाया गया है।’’ उन्‍होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में इन्‍हीं आदर्शों का पालन करने और भारत को एक बार फिर से विश्‍व गुरू का स्‍थान दिलाने का लक्ष्‍य रखा गया है।

नायडू ने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने वाली मूल्‍य आधारित शिक्षा वक्‍त की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि हमें ऐसे पेशेवरों की जरूरत है, जो न सिर्फ आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का ज्ञान रखते हों, बल्कि समझदार और संवेदनशील भी हों।’’