कुआलालंपुर : मलेशिया की अदालत ने म्यांमा के 1200 प्रवासियों को निर्वासित करने की योजना पर मंगलवार को रोक लगा दी।

अदालत ने यह फैसला दो मानवाधिकार समूहों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया क्योंकि समूहों का दावा है कि प्रवासियों में कई शरण के इच्छुक एवं नाबालिग शामिल हैं।

अदालत का आदेश एमनेस्टी इंटरनेशनल मलेशिया और असाइलम एक्सेस मलेशिया की ओर से वाद दायर करने के बाद आया। दोनों संगठनों ने प्रवासियों को नौसेना के ठिकाने पर पहुंचाने के महज कुछ देर बाद वाद दाखिल किया जबकि म्यांमा के तीन सैन्य पोत इन प्रवासियों को वापस ले जाने के लिए तट पर खड़े हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल मलेशिया की निदेशक कैटरीना जोरेनी मालियामाउ ने कहा,‘‘अदालत के आदेश के मद्देनजर सरकार को उसका सम्मान करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि 1200 प्रवासियों में से एक को भी आज निर्वासित नहीं किया जाए।’’

एमनेस्टी ने कहा कि अदालत उनकी याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगी और सरकार से आह्वान किया कि वह प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने पर दोबार विचार करें क्योंकि वहां पर एक फरवरी को सैन्य तख्ता पलट होने और निर्वाचित नेता आंग सान सू ची को पदच्युत करने के बाद मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं चरम पर है।