जोहानिसबर्ग:  दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थम्बी नायडू और उनके परिवार की चार पीढ़ियों के सन् 1900 की शुरुआत से ही रंगभेद के खिलाफ चलाए अभियान के बारे में जानकारी देती एक किताब का यहां विमोचन किया गया।

‘थम्बी नायडू एंड फैमिली : स्ट्रगल फॉर ए नॉन रेसियल साउथ अफ्रीका’ नाम की किताब में रंगभेद मुक्त दक्षिण अफ्रीका के लिए संघर्ष की नायडू परिवार की चार पीढ़ियों की कहानी को संजोया गया है।

नायडू को अकसर गांधी का ‘लेफ्टिनेंट’ भी कहा जाता है।

नायडू के पोते प्रेमा नायडू ने किताब के विमोचन के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका में अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन के दिनों में मेरे दादा महात्मा गांधी से अधिक बार जेल गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दादा ही उस समय भेदभावपूर्ण कानूनों के खिलाफ गांधी की अगुवाई वाले आंदोलन में कामकाजी वर्ग को साथ लेकर आए थे। यहां तक कि गांधी ने खुद बाद में थम्बी नायडू को दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह अभियान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियत में से एक माना था।’’

उन्होंने बताया कि वर्ष 1889 में मॉरिशस से 14 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका आए नायडू ने अपने पूरे परिवार में दमनकारी भेदभाव का विरोध करने का जुनून पैदा किया।

प्रेमा ने याद किया कि कैसे पूरे परिवार ने नेल्सन मंडेला और कई अन्य की मदद की थी।