केवडिया (गुजरात) : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि मोदी सरकार आठ तटीय राज्यों में राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना (एनसीआरएमपी) लागू कर रही है।

उन्होंने कहा कि चक्रवात और अन्य आपदाओं से तटीय समुदाय को होने वाली पीड़ा को कम करने के लिए शुरू की जा रही इस परियोजना पर 4,900 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।

आपदा प्रबंधन पर गृह मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि ‘आपदामित्र’ कार्यक्रम के तहत 350 आपदा संभावित जिलों में एक लाख सामुदायिक स्वयंसेवकों को आपदा का मुकाबला करने और इसके प्रति तैयार रहने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘चक्रवातों और अन्य आपदाओं से तटीय समुदाय को होने वाली पीड़ा को कम करने के लिए (नरेंद्र) मोदी सरकार 4,903 करोड़ रुपये खर्च करके आठ तटीय राज्यों में राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम शमन परियोजना लागू कर रही है।’’

गृह मंत्री ने कहा कि एसएमएस, मोबाइल ऐप और पोर्टल जैसी नवीन तकनीक के माध्यम से एक पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की गई है, ताकि लोगों को प्राकृतिक आपदा की आशंका पर पूर्व चेतावनी भेजी जा सके।

उन्होंने कहा कि शुरुआती चेतावनी को अंतिम छोर तक पहुंचाने की प्रणाली को मजबूत करने के लिए ‘कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल’ परियोजना पूरे देश में लागू की जा रही है। शाह ने कहा कि सरकार के सफल प्रयासों के कारण पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न आपदाओं के दौरान जान-माल की क्षति को न्यूनतम स्तर पर लाया गया है।

उन्होंने कहा कि इसके महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि वर्ष 1999 में ओडिशा में आए प्रचंड चक्रवात में लगभग 10,000 लोगों की जान चली गई, जबकि इसके विपरीत हाल के चक्रवातों में कुछ ही लोगों की मौत हुई।

उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शमन कोष का गठन किया गया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय आपदा शमन कोष के लिए 13,693 करोड़ रुपये और राज्य आपदा शमन कोष के लिए 32,031 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

शाह ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को पूरे देश में मजबूत और विस्तारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सरकार ने आपदा प्रबंधन के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाया है और इसे राहत-केंद्रित, पूर्व चेतावनी-केंद्रित, सक्रिय और प्रारंभिक तैयारी-आधारित बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि पहले देश में आपदा प्रबंधन के प्रति केवल राहत-केंद्रित दृष्टिकोण था, जिसमें जान-माल के नुकसान को कम करना शामिल नहीं था, लेकिन अब यह दृष्टिकोण बदल गया है।

शाह ने समिति के सदस्यों को बताया कि आपदा प्रबंधन के लिए बजटीय प्रावधान में पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 122 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो आपदा प्रबंधन के प्रति मोदी सरकार की प्राथमिकता को दर्शाता है।

बैठक में शरीक हुए सांसदों में एन के प्रेमचंद्रन, कुंवर दानिश अली, राम शंकर कठेरिया, सी एम रमेश, राजेंद्र अग्रवाल, लॉकेट चटर्जी, विजय कुमार हंसदक, नीरजशेखर और केसी राममूर्ति शामिल थे।