अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान और फिल्म ‘रईस’ के निर्माताओं के खिलाफ दायर 101 करोड़ रुपये की मानहानि के मामले में निचली अदालत के फैसले पर 20 जुलाई तक रोक लगा दी है। निचली अदालत के आदेश को खान और फिल्म निर्माताओं ने चुनौती दी थी।

मारे गए गैंगस्टर अब्दुल लतीफ के परिवार के सदस्यों ने यह मुकदमा दायर किया है। लतीफ की ही ज़िंदगी पर ‘रईस’ फिल्म कथित रूप से आधारित है।

न्यायमूर्ति उमेश त्रिवेदी ने सोमवार को दिए आदेश में निचली अदालत के फैसले पर 20 जुलाई तक रोक लगा दी है। निचली अदालत के आदेश को खान, अभिनेता फरहान अख्तर, फिल्मकार राहुल ढोलकिया और अन्य ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

निचली अदालत ने मूल वादी लतीफ के बेटे मुश्ताक अहमद की विधवा और दो बेटियों को मुकदमे में वादी बनने की इजाजत दे दी थी क्योंकि अहमद की 2020 में मौत हो गई है।

उच्च न्यायालय ने अहमद के वारिसों को भी नोटिस जारी किए हैं जिनका जवाब 20 जुलाई को देना है।

अहमदाबाद दीवानी अदालत में 2016 में दायर वाद में अहमद ने दावा किया था कि 2017 में आई खान अभिनीत फिल्म ‘रईस’ ने उनकी, उनके पिता और उनके परिवार के सदस्यों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है । साथ ही अहमद ने 101 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की थी।

2020 में अहमद की मौत के बाद, उनकी विधवा और दो बेटियों ने दीवानी अदालत में आवेदन दायर कर उन्हें मुकदमे में वादी बनाने आग्रह किया था जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया था।

इसके खिलाफ खान, अख्तर, ढोलकिया और प्रोड्क्शन कंपनी ने उच्च न्यायालय का रुख किया और निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी।

खान के वकील सलिक ठाकोर ने अहमद की विधवा और दो बेटियों को वादी बनाने का विरोध करते हुए कहा कि व्यक्ति की मौत के साथ उसके सम्मान को नुकसान की बात खत्म हो जाती है।

अहमद ने अपनी याचिका में दावा किया था कि जब पटकथा पर शोध किया जा रहा था तब उनके परिवार से बातचीत की गई थी और निर्माताओं ने इस बात का प्रचार किया था कि फिल्म लतीफ की ज़िंदगी पर आधारित है।

फिल्म के निर्देशक ढोलकिया हैं जबकि इसमें खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी और पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान ने अभिनय किया है। यह फिल्म लतीफ की कहानी बयां करती है जो शराब तस्कर था और गुजरात में 1980 के दशक में सक्रिय था।

लतीफ हत्या, अपहरण, शराब तस्करी के दर्जनों मामले में वांछित था। माना जाता है कि वह दाऊद इब्राहीम के गिरोह का हिस्सा था। उसे 1995 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 1997 में अहमदाबाद की साबरमती जेल से भागने की कोशिश में पुलिस की गोलीबारी में वह मारा गया था।