हैदराबाद, दो नवंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि राहुल गांधी को ‘बैकसीट ड्राइविंग’ (पीछे से पार्टी चलाना) या अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना पसंद नहीं है और आगे उनकी सबसे ज्यादा अहमियत इस बात की रहेगी कि वह पार्टी के लिए वैचारिक धुरी की भूमिका निभाएंगे।

मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित होने के कुछ दिनों बाद रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि राहुल गांधी ही सर्वेसर्वा हैं, लेकिन इसका जवाब यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष असल में ‘सड़क पर दहाड़ता शेर’ हैं।

उनका यह भी कहना था कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पार्टी के जनसंपर्क तथा इसकी ‘दो सी-राहुल गांधी के संदर्भ में संपर्क (कनेक्टिविटी) और संगठन के संदर्भ में सामूहिकता (कलेक्टिविटी)’ के लिए असली ‘बूस्टर डोज’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे कारगर असर कांग्रेस संगठन पर हुआ है। कांग्रेस का हौसला बहुत ही ऊंचाई पर है। क्या आगे यह स्थायी जनसमर्थन में परिवर्तित होगा, यह सब अब संगठन पर निर्भर करता है।’’

पार्टी महासचिव रमेश ने राहुल गांधी के नेतृत्व का उल्लेख करते हुए दार्शनिक अलबर्ट कामस के उस कथन का हवाला दिया कि ‘मेरे पीछे मत चलो, शायद मैं अगुवाई नहीं कर पाऊं। मेरे आगे मत चलो, शायद तुम्हारा अनुसरण नहीं कर पाऊं। सिर्फ मेरे साथ चलो।’’

उनका कहना था, ‘‘राहुल गांधी जी को 18 साल से जानता हूं और मैं उन्हें काफी अच्छी तरह जानता हूं। वह ‘बैकसीट ड्राइविंग’ पसंद नहीं करते, वह अपने पद या ताकत का प्रदर्शन करना पसंद नहीं करते। वह बहुत ही लोकतांत्रिक व्यक्ति हैं।’’

रमेश के अनुसार, इस यात्रा का राहुल गांधी से जुड़ी उस धारणा पर परिवर्तनकारी असर हुआ है जो ‘भाजपा की ट्रोल मशीन’ ने बहुत तोड़मरोड़कर गढ़ा गया था।

उन्होंने कहा कि निजी तौर पर उनके लिए और पार्टी संगठन के लिए भी यह यात्रा एक बहुत बड़ा दांव है।

खरगे के अध्यक्ष बन जाने के बाद राहुल गांधी की क्या भूमिका होगी, इस सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि यह फैसला खरगे और राहुल गांधी को करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि राहुल गांधी की सबसे बड़ी अहमियत यह होगी कि वह पार्टी के लिए वैचारिक धुरी की भूमिका निभाएंगे।’’

रमेश का कहना था कि हर पार्टी को वैचारिक धुरी की जरूरत होती है और राहुल गांधी कांग्रेस के लिए इस भूमिका में सबसे उपयुक्त हैं।

उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए बुलाया जाता है तो वह यात्रा से कुछ दिनों का अवकाश लेकर जाएंगे।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहूंगा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से 2024 के लिए पूरी तरह से कायपलट हो जाएगा। यह लंबा सफर है। हमारे यहां कई बहुत गहरी चुनौतियां हैं जिनका हमें सामना करना है। इस यात्रा से एक अवसर सामने आया है।’’