श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में बारामूला जिले के सोपोर इलाके में सुरक्षाबलों के साथ रात भर चली मुठभेड़ में मारे गए तीन खूंखार आतंकवादियों में से एक मुदस्सिर पंडित था, सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में शामिल था। मारा गया एक अन्य आतंकवादी पाकिस्तान का निवासी था।

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि मारे गए तीनों आतंकवादी लश्कर- ए-तैयबा के शीर्ष आतंकी कमांडर थे।

उन्होंने कहा कि यह अभियान पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि ये आतंकवादी अनेक हमलों और हत्याओं में शामिल थे।

ये आतंकवादी दो बड़े हमलों में भी शामिल थे, जिनमें से एक 29 मार्च को हुआ था, जिसमें दो निगम पार्षदों और एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी। दूसरा हमला 12 जून को हुआ था, जिसमें दो पुलिसकर्मी और दो आम नागरिक मारे गए थे।

मुठभेड़ रविवार देर रात तब शुरू हुई थी, जब सुरक्षाबलों ने क्षेत्र में पंडित सहित कम से कम तीन आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना पर घेराबंदी कर तलाश अभियान शुरू किया। सिंह ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए अभियान अत्यंत महत्वपूर्ण था। मुठभेड़ में तीन खूंखार आतंकी कमांडर मारे गए, जो लंबे समय से सक्रिय थे और अनेक आतंकी हमलों में शामिल थे।’’

उन्होंने कहा कि मारे गए आतंकवादियों में से एक मुदस्सिर पंडित उर्फ उमेर उर्फ मास भाई था, जो 19 जून से क्षेत्र का लश्कर कमांडर था।

पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘‘उसके खिलाफ 18 प्राथमिकी दर्ज थी और वह नौ सुरक्षाकर्मियों, चार आम नागरिकों, दो पूर्व आतंकवादियों, तीन सरपंचों और दो अलगाववादियों की हत्या में शामिल था।’’

उन्होंने बताया कि मारे गए दो अन्य आतंकवादियों में से एक पाकिस्तानी नागरिक था, जिसकी पहचान अब्दुल्ला उर्फ असरार के रूप में हुई है। वह पंडित के साथ लंबे समय से जुड़ा था। सिंह ने कहा कि मारा गया तीसरा आतंकवादी सोपोर निवासी खुर्शीद मीर था, जिसके खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज थीं और वह सात सुरक्षाकर्मियों तथा पांच आम नागरिकों की हत्या तथा दो ग्रेनेड हमलों में शामिल था।

पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘‘समूह सोपोर में दो बड़े हमलों में भी शामिल था-इनमें से एक हमला 29 मार्च को हुआ था जिसमें दो निगम पार्षदों और एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी। दूसरा हमला 12 जून को हुआ था जिसमें मुख्य बाजार क्षेत्र में दो पुलिसकर्मी और दो आम नागरिक मारे गए थे।’’

कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने बताया कि तीनों आतंकवादी एक अन्य आतंकवादी के परिवार के मकान में छिपे हुए थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आतंकवादियों के परिवारों से आग्रह करता हूं कि वे सक्रिय आतंकियों को शरण न दें। फिर वे पुलिस पर अपने साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हैं...आतंकवादियों के परिवारों को सक्रिय आतंकियों को भोजन और शरण मुहैया कराने से बचना चाहिए।’’

पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि आतंकवादियों का पता लगाने में स्थानीय लोगों ने बड़ी मदद की। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सभी तीनों आतंकी कमांडरों की तस्वीरों के साथ पोस्टर लगाए थे। पुलिस ने उनके छिपे होने की जगह का पता लगा लिया, लेकिन इस काम में स्थानीय लोगों ने हमारी मदद की। मैं बड़ी मदद के लिए स्थानीय लोगों का धन्यवाद व्यक्त करता हूं।’’

सेना की किलो फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल एच एस साही ने कहा कि अभियान में एक सैनिक घायल हो गया जिसे अस्पताल पहुंचाया गया। उसकी हालत स्थिर बताई जाती है।

उन्होंने कहा कि हाल के समय में घाटी में यह दूसरा उदाहरण है जब सथानीय आतंकवादियों के साथ पाकिस्तानी आतंकवादी पाए गए हैं।

साही ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा नेटवर्क है, जो मौजूद है, यह चिंता का विषय है। इस नेटवर्क को तोड़े जाने और नष्ट किए जाने की आवश्यकता है, जिससे कि जम्मू कश्मीर के विकास और शांति में कोई बाधा न रहे।’’ उन्होंने कश्मीर के लोगों और नगारिक समाज के व्यक्तियों से अपील की कि वे इस नेटवर्क को तोड़ने में सुरक्षाबलों की मदद करें।

मेजर जनरल साही ने कहा, ‘‘यह नेटवर्क हिंसा के चक्र को जारी रखना चाहता है। हम कहते रहे हैं कि हिंसा के इस चक्र को नष्ट किए जाने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि इस नेटवर्क की मदद बंद की जानी चाहिए, जिससे कि निर्दोष कश्मीरियों का जीवन बचाया जा सके।

साही ने स्थानीय आतंकवादियों से हथियार छोड़ने और राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने को कहा। उन्होंने कहा, ‘‘यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो मैं आपको आश्वासन देता हूं कि उनका भी अंजाम वही होगा जो सोपोर मुठभेड़ में आतंकवादियों का हुआ है।’’