रांची: झारखंड विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो ने भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ संविधान की अनुसूची दस के तहत स्वयं संज्ञान लेकर दलबदल के संबंध में प्रारंभ की गयी कार्यवाही को समाप्त करने की बात बुधवार को यहां उच्च न्यायालय के समक्ष कही और इस आधार पर उच्च न्यायालय में उनकी कार्यवाही के खिलाफ जारी मामले को समाप्त करने का अनुरोध किया।

बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो की पैरवी की और अदालत से अनुरोध किया कि अब इस मामले को आगे न बढ़ाया जाये क्योंकि विधानसभाध्यक्ष ने बाबूलाल मरांडी को उनकी सदस्यता समाप्त करने के संबंध में 18 अगस्त तथा दो नवंबर को जो नोटिस जारी किए थे उन पर उन्होंने आगे कोई कार्यवाही न करने का फैसला किया है।

मरांडी के अधिवक्ता राजनन्दन सहाय ने बताया कि सिब्बल ने खंडपीठ को यह भी आश्वस्त किया कि आवश्यक होने पर मरांडी को इस संबंध में जारी दोनों नोटिस वापस भी लिए जा सकते हैं।

मामले की सुनवाई की पिछली तिथि 17 दिसंबर को ही खंडपीठ ने विधानसभाध्यक्ष द्वारा इस मामले में की जा रही कार्यवाही को स्थगित कर दिया था और विधानसभाध्यक्ष से मामले में जवाब मांगा था। उच्च न्यायालय के इस निर्देश के खिलाफ विधानसभाध्यक्ष उच्चतम न्यायालय की शरण में भी गये थे लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

खंडपीठ ने सिब्बल को आज अदालत में कही गयी बातें हलफनामे के रूप में दाखिल करने के निर्देश दिये।

न्यायालय के निर्देश के बाद बुधवार देर शाम विधानसभाध्यक्ष की ओर से विधानसभा सचिव महेन्द्र प्रसाद ने खंडपीठ के समक्ष हलफनामा दाखिल कर दिया जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है, ‘‘विधानसभाध्यक्ष 18 अगस्त एवं दो नवंबर को बाबूलाल मरांडी की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए दसवीं अनुसूची के तहत जारी नोटिसों पर आगे कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।’’