नयी दिल्ली,मध्यप्रदेश उपचुनाव में किस्मत आजमा रहे कुल 355 उम्मीदवारों में से 63 उम्मीदवारों (18 प्रतिशत) ने चुनावी हलफनामे में बताया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनाव अधिकार समूह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।


रिपोर्ट के अनुसार, 11 प्रतिशत अथवा 39 उम्मीदवारों ने बताया है कि उनके खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।

संगीन आपराधिक मामले गैर जमानती होते हैं। इनमें पांच साल तक के कारावास की सजा होती है।

एडीआर ने कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों की बात करें तो कांग्रेस उम्मीदवारों की दी हुई जानकारी का विश्लेषण करने पर पता चला कि उसके 28 में 14 (50 प्रतिशत) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि भाजपा के 28 में से 12 उम्मीदवारों ने घोषित किया है कि उनके खिलाफ ऐसे मामले दर्ज हैं।

एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि बसपा के 28 में आठ, सपा के 14 में से चार और 178 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 16 ने अपने हलफनामों में बताया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

चुनाव अधिकार संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस के 28 में से 6 और भाजपा के 28 में से आठ उम्मीदवारों ने हलफनामे में कहा है कि उनके खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।

रिपोर्ट के अनुसार बसपा के 28 में से तीन, सपा के 14 में से चार और 178 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 13 ने घोषित किया है कि उनके खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।

एडीआर के मुताबिक एक उम्मीदवार ने घोषित किया है कि उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज है। इसके अलावा सात उम्मीदवारों ने बताया है कि उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 में से 10 निर्वाचन क्षेत्र रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र हैं। रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र उन्हें कहा जाता है जहां चुनाव लड़ रहे तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की घोषणा की हो।

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, 'राजनीतिक दलों पर उम्मीदवारों के चुनाव को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने करीब 18 प्रतिशत आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देकर अपनी पुरानी परंपरा को जारी रखा है। मध्य प्रदेश में उपचुनाव लड़ रहे सभी प्रमुख दलों ने 25 से 50 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिये हैं, जिन्होंने यह घोषित किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। '

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में राजनीतिक दलों से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने के कारणों के बारे में पूछा था। साथ ही उसने यह भी पूछा था कि बिना आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को टिकट क्यों नहीं दिया जाता।

एडीआर की रिपोर्ट में इन उम्मीदवारों की वित्तीय स्थिति के बारे में भी जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, '355 में से 80 उम्मीदवार करोड़पति हैं। प्रमुख दलों में से भाजपा के 28 में से 23, कांग्रेस के 28 में से 22, बसपा के 28 में से 13, सपा के 14 में से 2 और 178 निर्दलीय में से 14 उम्मीदवारों ने घोषित किया है कि उनकी संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है। '

मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं। इनमें से अधिकतर सीटें कांग्रेस के बागी विधायकों के पार्टी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद खाली हुई हैं।