इंदौर (मध्यप्रदेश) : प्रतिस्पर्धी कीमतों के चलते वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत का सोया खली निर्यात दोगुना से ज्यादा उछाल के साथ 20.37 लाख टन पर पहुंच गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 में देश से 9.84 लाख टन सोया खली का निर्यात गया था। प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अध्यक्ष, डेविश जैन ने "पीटीआई-भाषा" को बताया कि 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष में ब्राजील,अमेरिका और अर्जेंटीना की सोया खली के भावों में अलग-अलग कारणों से इजाफा हुआ। जैन के मुताबिक इन कारणों में दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में सूखे के प्रतिकूल मौसमी हालात के चलते ब्राजील और अर्जेंटीना में सोयाबीन का उत्पादन घटने की अटकलें प्रमुख हैं।

उन्होंने बताया, "जैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्राजील,अमेरिका और अर्जेंटीना की सोया खली के भाव चढ़े, भारत को निर्यात के मोर्चे पर फायदा मिला। इससे भारत की सोया खली की कीमतें तीनों देशों के इस उत्पाद के मुकाबले प्रतिस्पर्धी दायरे में आ गईं। नतीजतन गत नवंबर से फरवरी के बीच भारत के सोया खली निर्यात में बड़ा इजाफा देखने को मिला।"

जानकारों ने बताया कि ब्राजील,अमेरिका और अर्जेंटीना विश्व के शीर्ष सोयाबीन उत्पादक हैं और इनकी गिनती सोया खली बाजार के बड़े खिलाड़ियों के रूप में होती है। आमतौर पर इनकी सोया खली भारत के मुकाबले सस्ती होती है जिससे ये मुल्क मूल्य प्रतिस्पर्धा में भारत को कड़ी टक्कर देते हैं।

प्रसंस्करण संयंत्रों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचने वाले उत्पाद को सोया खली (सोयाबीन का तेल रहित खल या डीओसी) कहते हैं। यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्त्रोत है। इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य पदार्थों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है।