पुणे : भारतीय अनुसंधानकर्ताओं के एक दल के नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मुंह के कैंसर के ऐसे रोगी जिनके रक्त में परिसंचरण ट्यूमर कोशिकाओं (सर्कुलेटिंग ट्यूमर सेल्स अथवा सीटीसी)की संख्या कम होती है,वे अधिक कोशिकाओं वाले मरीजों की तुलना में ज्यादा जीते हैं।

मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉ पंकज चतुर्वेदी, डॉ जयंत खंडारे और पुणे के एक्टोरियस ओन्कोडिस्कवर के एक दल ने सिर और गर्दन कैंसर 500 मरीजों के नैदानिक परीक्षणों का चार वर्ष तक अध्ययन किया। इस अध्ययन की अगुवायी डॉ चतुर्वेदी ने की।

डॉ खंडारे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा,‘‘कुल मिलाकर मुंह के कैंसर के 152मरीजों का विश्लेषण किया गया और सीटीसी के लिए प्रति मरीज 1.5 मिली लीटर रक्त की जांच की गयी।’’

उन्होंने बताया कि ,‘‘ अध्ययन में सामने आया कि प्रति 1.5 मिलीलीटर रक्त में 20 से अधिक सीटीसी वाले मरीजों में बीमारी के एडवांस स्तर पर जाने तथा कैंसर कोशिकाओं के मूल स्थान से टूटने की आशंकाए अधिक हैं। वहीं प्रति 1.5 मिलीलीटर रक्त में 12 से कम सीटीसी वाले मरीजों में जीने की संभावना अधिक होती है।’’

उन्होंने कहा कि यह अध्ययन जर्नल ‘ट्रिपल ओओओ’ में प्रकाशित हुआ था।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार भारत में कैंसर के लगभग 14 लाख मरीज हैं और इनका लगभग नौ प्रतिशत (1.2 लाख) महाराष्ट्र में हैं।