आइजोल : उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को कहा कि मिजोरम जल्द ही दक्षिण पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं का ‘सबसे महत्वपूर्ण द्वार’ बनेगा और यह पड़ोसी देश म्यांमा के साथ कलादान बहुउद्देश्यीय पारगमन परिवहन परियोजना (केएमएमटीटीपी) के माध्यम से उत्तर-पूर्व के विकास का आधार बनेगा।

केएमएमटीटीपी कोलकाता को समुद्र मार्ग से म्यांमा के सित्वे बंदरगाह से जोड़ेगी। यह कलादान नदी के माध्यम से सित्वे को देश के पालेत्वा से और पालेत्वा को सड़क मार्ग से मिजोरम से जोड़ेगी।

राज्य विधानसभा में मिजोरम के विधायकों को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि केएमएमटीटीपी पूरी होने पर न केवल राज्य की, बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में क्रांति लाएगी और आर्थिक वृद्धि और विकास को गति प्रदान करने में सहायक होगी।

उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आने वाले सालों में मिजोरम कलादान बहुउद्देश्यीय परियोजना के माध्यम से क्षेत्र की वृद्धि और विकास का आधार बनेगा।’’

उन्होंने कहा कि 1986 में ऐतिहासिक मिजो शांति समझौते पर दस्तखत से राज्य में शांति और प्रगति देखी गयी है। इस समझौते से मिजोरम में दो दशक से अधिक समय तक फैली अशांति खत्म हो गयी थी।

नायडू ने कहा कि समझौते ने एक उदाहरण के रूप में काम किया है जिसके आधार पर ऐसे शांति समझौते उत्तर-पूर्व क्षेत्र के अन्य हिस्सों में वास्तविकता बन गये हैं।

उन्होंने कहा कि आज मिजोरम को न केवल देश के सबसे शांतिपूर्ण राज्यों में गिना जाता है, बल्कि यह राज्य विकास यात्रा में भी आगे बढ़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मिजोरम ने दूसरे उत्तर-पूर्व राज्यों की तुलना में विकास प्रक्रिया में देरी से शुरुआत की, लेकिन मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि इस महत्वपूर्ण प्रदेश ने अनेक बुनियादी संरचना परियोजनाओं को पूरा करके सामाजिक-आर्थिक विकास की ओर त्वरित उन्नति की है।’’

आइजोल के दो दिन के दौरे पर पहुंचे नायडू ने कहा कि राज्य ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के सूचकांक में अपनी रैंक में सुधार किया है और यह 2019-20 में 21वें स्थान से 2020-21 में 12वें स्थान पर आ गया है।

उन्होंने कहा कि मिजोरम प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न राज्य है और सतत विकास के लिए इन संसाधनों और यहां के सुखद मौसम का हरसंभव तरीके से उपयोग किया जाना चाहिए।