मुंबई : एक विशेष अदालत ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें कथित धन शोधन मामले में तकनीकी आधार पर जमानत देने का अनुरोध किया गया था।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता देशमुख को दो नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं। देशमुख ने अपनी अर्जी में दलील दी थी कि धन शोधन निवारण कानून के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने उन्हें आगे की न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले ईडी द्वारा दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान नहीं लिया।

अर्जी में कहा गया था कि चूंकि गिरफ्तारी से 60 दिन की निर्धारित अवधि में आरोप पत्र का संज्ञान नहीं लिया गया, इसलिए उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167 के तहत तकनीकी आधार पर जमानत मिलनी चाहिए। ईडी ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि आरोप पत्र निर्धारित समय के भीतर दाखिल किया गया था।

विशेष न्यायाधीश आर एन रोकडे ने राकांपा नेता की याचिका खारिज कर दी।

धारा 167 के अनुसार यदि 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाता है और इसका संज्ञान नहीं लिया जाता है तो आरोपी तकनीकी आधार पर जमानत का अनुरोध कर सकता है। हालांकि केंद्रीय एजेंसी ने दलील दी कि आरोप पत्र पर अदालत के संज्ञान लेने का सवाल ही प्रासंगिक नहीं है। साथ ही कहा कि समय पर मूल आरोप पत्र और पूरक जमानत दाखिल होने के बाद ‘डिफॉल्ट’ जमानत पर विचार नहीं किया जा सकता है।

ईडी ने 29 दिसंबर 2021 को देशमुख और उनके बेटों के खिलाफ 7,000 पन्नों का पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। इससे पहले ईडी ने देशमुख के निजी सचिव (अतिरिक्त कलेक्टर-रैंक के अधिकारी) संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे सहित 14 अन्य आरापियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अप्रैल 2021 में राकांपा के वरिष्ठ नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज किया, जिसके बाद ईडी ने देशमुख के खिलाफ एक अलग जांच शुरू की।

ईडी का मामला यह है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहते हुए देशमुख ने (अब बर्खास्त) पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के माध्यम से मुंबई के विभिन्न बार से 4.70 करोड़ रुपये एकत्र किए।