मुंबई : देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के अर्थशास्त्रियों ने सरकार से बजट में महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन जारी रखने और राजकोषीय मजबूती पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि पुनरुद्धार को सतत बनाने के लिये अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने को लेकर और उपाय करने की अभी जरूरत है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने बुधवार को बजट पूर्व एक रिपोर्ट में कहा कि नये वित्त वर्ष की शुरुआत का बेहतर तरीका मौजूदा वित्त वर्ष में एलआईसी की शेयर बिक्री को पूरा करना होगा। यह काफी अधिक दबाव वाले बही-खाते को दुरुस्त करने में मददगार होगा।

‘‘ इससे वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा 6.3 प्रतिशत के निचले स्तर पर लाने में मदद मिलेगी, क्योंकि नये वित्त वर्ष की शुरुआत सरकारी खजाने में कम-से-कम तीन लाख करोड़ रुपये के नकद अधिशेष के साथ होगी।’’

उन्होंने कहा कि बजट में राजकोषीय घाटे को 0.3 से 0.4 प्रतिशत से अधिक की कमी पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था के ज्यादातर क्षेत्रों को अभी भी समर्थन की जरूरत है।

घोष ने कहा कि बजट में राजकोषीय मजबूती पर धीरे-धीरे कदम बढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए। वित्त वर्ष 2022-23 के लिये चालू वित्त वर्ष के मुकाबले राजकोषीय घाटे में कमी 0.3 से 0.4 प्रतिशत तक सीमित रहनी चाहिए।

उन्होंने इस समय संपत्ति कर या अन्य कर लगाये जाने को लेकर भी आगाह करते हुए कहा कि अगर ऐसा होता है, इससे लाभ के बजाय नुकसान ज्यादा होगा।