भुवनेश्वर : ओडिशा के पुरी स्थित 800 साल पुराने जगन्नाथ मंदिर में विवादास्पद धरोहर गलियारा परियोजना को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि 12वीं सदी के मंदिर के तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए विकास संबंधी गतिविधियों को लेकर ‘‘कोई आपत्ति नहीं है’’, लेकिन ऐसे काम कानून के दायरे में रहकर किये जाने चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रधान की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा और भुवनेश्वर की सांसद अपराजिता सारंगी सहित उनकी पार्टी के सहयोगियों ने मंदिर के संरक्षित क्षेत्र में काम को स्थगित करने की मांग की है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने गत नौ मई को उड़ीसा उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि परियोजना सक्षम प्राधिकारी से वैध अनुमति के बिना संचालित की जा रही है।

शनिवार को अंगुल का दौरा करने के बाद प्रधान ने एक पृष्ठ का बयान जारी करके कहा, ‘‘भक्तों के लाभ के लिए विकास कार्यों और 12वीं शताब्दी के मंदिर के आसपास के सौंदर्यीकरण में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस संबंध में कुछ खबरें सामने आ रही हैं जो चिंता का विषय हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सभी विकास कार्य कानून के दायरे में किये जाने चाहिए। राज्य सरकार को मठों, मंदिरों, विरासत स्थलों और संस्कृति की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए।’’

हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने विवादास्पद कॉरिडोर परियोजना के काम को स्थगित करने की मांग नहीं की, जैसा कि उनकी पार्टी के सहयोगियों ने पहले इस तरह की मांग की थी।

प्रधान ने कहा, ‘‘श्री मंदिर के आसपास से हजारों साल पुरानी प्राचीन मूर्तियों और अन्य विरासतों के मिलने को नजरअंदाज करना बुद्धिमानी नहीं है। भगवान जगन्नाथ के एक भक्त के रूप में, मुझे उम्मीद है कि पुरी धरोहर गलियारा परियोजना के तहत सौंदर्यीकरण का काम कानूनों के तहत किया जाए।’’

उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि ओडिशा को उसकी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है, श्री जगन्नाथ मंदिर से कई मठ जुड़े हुए हैं जो कई सदियों पुराने हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये ओडिशा की समृद्ध विरासत के प्रतीक हैं और सौंदर्यीकरण की दलील पर इन्हें नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।’’

सुंदरगढ़ से भाजपा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम ने रविवार को मांग की कि संरक्षित क्षेत्र में काम तत्काल रोका जाए। उन्होंने पुरी से सांसद पिनाकी मिश्रा पर सदन में धरोहर गलियारा परियोजना पर बयान देते हुए संसद को गुमराह करने का आरोप लगाया।

ओराम ने कहा, ‘‘संरक्षित क्षेत्र में किसी भी निर्माण परियोजना को शुरू करना अवैध है। मुझे संदेह है कि कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री से सच्चाई छुपाकर अवैध काम कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुरी के सांसद पिनाकी मिश्रा ने पुरी धरोहर गलियारा परियोजना पर बयान देते हुए संसद को गुमराह किया। जब पिनाकी बाबू ने बयान दिया तो मैं वहां मौजूद था।’’

मिश्रा ने कहा था कि जगन्नाथ मंदिर के पास सिर्फ चार शौचालय बन रहे हैं। हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह लोकसभा में समय की कमी के कारण मंदिर में किए जा रहे अन्य कार्यों का उल्लेख नहीं कर सकते।

ओराम ने कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पहले ही पुरी में निर्माण स्थल का दौरा कर चुके हैं और जल्द ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी पार्टी किसी भी अवैध निर्माण के साथ नहीं है।’’

इस बीच, भुवनेश्वर से सांसद अपराजिता सारंगी ने ट्विटर पर कहा, ‘‘श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण द्वारा अपनी भवन योजना, कार्यालय संरचना जो 200 मीटर के भीतर आ गई हो, उसे संशोधित करने के लिए कहा गया है। कानून का पालन किया जाना है। हमारे जगन्नाथ मंदिर की संरचनात्मक संरचना की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।’’

भाजपा नेताओं के आरोपों को खारिज करते हुए, बीजद के वरिष्ठ नेता और कटक नगर निगम (सीएमसी) के महापौर सुभाष सिंह ने कहा कि पुरी में चल रहे विकास कार्यों को रोकने के लिए आरोप लगाए जा रहे हैं, जबकि सभी दलों ने सर्वसम्मति से परियोजना पर सहमति व्यक्त की थी। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री पुरी के समग्र विकास और इसे विश्व धरोहर स्थल में बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।